शनिवार, 25 जनवरी 2014

।भरतकूप की आदिवासी बस्ती में भारत का संविधान असहाय है



पहाड़ बचाओ जल श्रोत बहाओ  मिशन 

जनसुनवाई रिपोर्ट 
२५ जनवरी २०१४ 

सर्वोदय ग्राम बेड़ी पुलिया 

बुंदेलखंड के पहाड़ो जंगलो और जलश्रोतों के विचलित होने से से चित्रकूट सहित पूरे बुंदेलखंड की तस्वीर बदसूरत हुई है जिसके कारण सूखे जलश्रोतों के किनारे रहने वाले समुदाय,जंगलो  पहाड़ो को हँसाने  वाला आदिवासी समाज , बुंदेलखंड का किसान और किसान मजदूर अदि समुदायो के  परिवारो में बच्चो  महिलाओ और युवाओ की स्थित बहुत दयनीय है।युवा बेरोजगारी नशे से जूझ रहा है।खदानो और पत्थरो में काम करने वाले ,क्रेशरो के समीप रहने वालो में टी बी मरीजो की  बड़ी संख्या दिखती है। बड़ी संख्या में महिलाये किशोरोया एनीमिक है। नदियो के जल श्रोत सूखते जा रहे है। जंगल बड़ी संख्या में समाप्त हुवा है। आदिवासियो के पास आजीविका के सभी साधन समाज सरकार ने पिछले ६६ वर्षो से छीन लिया और इनको शिक्षित बनाने उदयमी बनाने के कोइ प्रयास नहीं किये गए। विवशता के कारण यह समाज जंगल कटाने पत्थर तोड़ने के पारम्परिक ज्ञान से आजीविका चला रहा है।यह जानकारिया  चित्रकूट के समाज से जुड़े समस्याग्रस्त समुदाय के प्रतिनिधियो ,किसानो व् सामाजिक पहरुवो  ने  गणतंत्र  दिवस के एक दिन पूर्व  २५ जनवरी २०१४ को पहाड़ बचाओ जल श्रोत बहाओ की पहली जनसुनवाई में में सामूहिक परिचर्चा का निस्कर्ष है ।इस जनसुनवाई में कुल ५०  लोगो ने भाग लिया। सम्मलित लोगो में सभी वर्ग जाति तथा विभिन्न  उद्द्यम् और कई तरह की आय  से जुड़े लोग थे। सम्मलित लोगो की श्रेणिया निम्न थी -
 अ - विद्द्यार्थी 
 ब -  किसान 
 स - मजदूर/आदिवासी /दलित  
 द -  राजनैतिक दल के प्रतिनिधि 
 य -  मिडिया 
 द - सामाजिक संघठन 
                                   सभी लोगो ने समूह चर्चा में निम्न मुद्दो को चिन्हित किया -
 १ पानी २ सड़क ३ जंगल ४ अस्पतालो से दवा न मिलाना तथा  ५ बिजली ६ पहाड़ो का समाप्त होना ७ नदियो का सुखाना ८ नदियो में गन्दगी और उनके बहाव क्षेत्र में निर्माण ९ यात्रियो का ट्रेनो की छतो में आना १० गरीबी रेखा के कार्ड गरीबो को न मिलाना ११ युवाओ में बेरोजगारी व् नशा १२  कुपोषण और टी बी के बढ़ते मरीज १३ पलायित -खदानो के किनारे वर्षो से रह रहे समाज को  सरकारी योजनाओ और लाभो से वंचित  रखना १४ खदानो के आस पास के जल;श्रोतो का सूखना और क्रेशर की धूल से फसलो का /मकानो का ढकना १५ क्रेशर की धूल से आस पास के समुदाय को परेशानिया १७ ऐतिहासिक प्राकृतिक धरोहरो का नष्ट होना।   
                                   श्री अभिमन्यु भाई ने मिशन अभियान पर किये  गये सम्पर्को के बारे में बताया। बुंदेलखंड में ईसाइयो के धर्म गुरु सम्मानित बिशप  झाँसी और ग्रामोदय  विद्द्यालय के कुलपति श्री एन सी गौतम के साथ हुई चर्चा से सभी के विचारो को बताया। पूर्व ग्राम विकास मंत्री के इस कार्यक्रम आने की बात की जानकारियो से अवगत कराते हुवे  जन सुनवाई को प्रारम्भ की। जनसुनवाई का संचालन अमित शुक्ला ने किया। 
                                   भरतकूप से श्यामा संतोष बलराम नारायण पुर अमिलिहपुरवा से रामस्वरूप नमो आर्मी के  शौरभ दुवेदी अनुज दुवेदी  मानवाधिकार से श्री अमित शुक्ला नगरपालिका से श्याम  गुप्ता बरगढ़ से अनिरुद्ध दुबे  नरेंद्र यादव ,हड़हा से मुकेश आदिवासी  भौटी से शिवनरेश आदिवासी महात्मा गांधी विश्व विद्य़ालय से श्री विनोद शंकर तथा सामाजिक चिंतक भालेंद्र सिंह और आजादी बचाओ आंदोलन के श्री राम धीरज भाई सहित करीब ५० लोगो ने अपनी भागीदारी की। 
                                                 

                                 सभी लोगो ने चित्रकूट की कुरूपता के अनुभवो पर अपनी बात और उदहारण रखे किन्तु भरत कूप की स्यामा ने जिन बातो को प्रस्तुतकिया वह आजाद भारत  की लोकतान्त्रिक व्यवस्था के 
सुशान नारे में बहुत बड़ी बाधा के रूप में दिखती है।भरतकूप की आदिवासी बस्ती में भारत का संविधान असहाय है ऐसा -----श्यामा की बातो से सभी को लगा। इस क्रम में सभी चिन्हित मुद्दो में से निम्न मुद्दो पर काम करने की प्राथिमिकताए तय की गयी -
१ -पर्यावरण सरक्षण 
२ - नदी पहाड़ तालाब बचाना 
३ - गरीबी 
४ - पंचायतो में सुशाशन स्थापना 
५ - सरकार मिडिया और पीड़ित समुदाय के बीच दिखने वाले वाले 
     संवैधानिक दूरियों की पहचान और सहभागी निवारण।  

                               सुनवाई के लिए अधिकृत महानुभाव डाक्टर विनोद शंकर सिंह तथा भाई राम धीरज 
जी ने उपरोक्त प्राथमिकताओ को करने के लिए आगामी कार्यक्रम निर्धारण में लोगो से जानकारी मांगी। सभी लोगो ने निम्न कार्यक्रम तय किये। सबसे मुख्य कार्यक्रम  भरत कूप की श्रीमती श्यामा आदिवासी द्वारा ३ फरवरी ०१४ को रोटी भाजी में आमंत्रण पर निर्धारित हुवे  -
१ - भरतकूप के आदिवासी श्यामा के समुदाय में जनसुनवाई तथा भौरी -मानिकपुर भरतकूप तक 
      जनसुनवाई के स्थल तिथिया निर्धारित करना।  
२ - समस्याग्रस्त समुदाय की पहचान और उनके मुद्दो में उनकी अगुवाई 
३-   समस्याग्रस्त समुदाय के बीच रोटी - बेटी अभियान चलना और कुपोषण बीमारी अशिक्षा पर 
      सरकारी कार्यक्रमो की समीक्षा कर उनको सक्रीय कराना। 
४ - चित्रकूट बनाओ अभियान चलना जिसमे विश्व विद्द्यालयो /विद्द्यालयो /सामाजिक संघठनो सरकारी 
      फोरमो को शामिल करना -
५ -  समुदाय को सामाजिक न्याय दिलाने वाले ,सरकारी फोरमो को सक्रीय करने वाले तथा सरकारी निरणयो 
       को लागू कराने वाले तथा पंचायतो की बैठके समय से गांव की भागीदारी से करने वाले सामाजिक लोगो          की पहचान और सम्मान दिलाना।  
सबसे अंत में श्री भालेंद्र सिंह जी  ने कार्क्रम की समीक्षा कर कहा -कि युवाओ की भागीदारी से जो निर्णय हुवे है वह चित्रकूट के निर्माण में प्रभावी होगे।  अंत में  संत श्री प्रभु गिरी उर्फ औगढ़ बाबा ने पहाड़ो को बचाने नदियो को बहाने वाले काम को ईश्वर का काम बताते हुवे कहा कि किसी से डरना नहीं भगवन आपके साथ है विजय मिलेगी।  

अभिमन्यु भाई 
सयोजक 
पहाड़ बचाओ मिशन 






रविवार, 19 जनवरी 2014

पयस्वनी और सरयू जलधाराओं पर सीवर गंदे नाले

                                                   
                                                       
                                                तीर्थयात्रीओ का अपवित्र चित्रकूट 

                                       



आज से करीब २ वर्ष पहले टी वी में ------यह खबर चली थी कि चित्रकूट के राम घाट में दूध की धारा निकली। बहुत सारे  लोग इस घटना से चित्रकूट पहुचे। चित्रकूट के संतो का कहना है कि कामद गिरी पर्वत के अंदर हजारो वर्षो से ऋषि साधना में है ----पर्वत पूरा पोला है --पर्वत के अंदर भगवान को दूध की धार से स्नान कराते है वह दूध ---सीधे पयस्वनी जल धारा में  मंदाकनी के  राघव प्रयाग घाट में कुछ देर के लिए दिखता है। स्थानीय समाज के पुराने लोगो ने देखा था। राघव प्रयाग घाट मंदाकनी का घाट है -इस घाट में पयस्वनी तथा सरयू की जल धराये उत्तर दक्षिण दिशा से आकर एक होकर मंदाकनी में मिलती है।



आज गणेश चतुर्थी है। इस दिन परम्परा के मुताबिक महिलाये उपवास करती है। नदी में स्नान और दान का महत्त्व है। मैंने आज  चित्रकूट की पवन पवित्र नदी की सहायक दो  जलधाराएं पयस्वनी जो दक्षिण दिशा से आरही है और सरयू जो पश्चिम से उत्तर दिशा से आरही है ----को देखा। दोनों जलधाराओं कि स्थित  बहुत ही दयनीय दशा में है। पवित्रता का सरोकार स्थानीय निवासियो ने समाप्त कर दिया। जलधाराओं के बहाव स्थानो में अतिक्रमण तो हुवे ही इसके बावजूद शौचालयो /नालियो का पानी सीधे मंदाकनी की  सहायक नदियो में डाल दिया गया। जलधाराओं  की अविरलता और शुद्धता दोनों नहीं है। हमने जिस रूप में नदी को देखा उसका आनंद लिया क्या इसी रूप में अपनी आने वाली पढ़ी को यह नदी लौटा रहे है ,तब उत्तर मिलेगा कि नहीं ?????????????ऐसा क्यों है ?????????

यह एक विडम्बना है कि हिंदुवो के तीर्थ क्षेत्र में -----तीर्थ यात्री परदेशी है।  उसके धन से चलने वाले यहाँ के व्यवसायी उसकी भावना और दर्द को समझने कि स्थित में नहीं है।  प्रत्येक तीर्थ यात्री मंदाकनी में स्नान, मंदिरो में दर्शन और परिक्रमा उसका लक्ष्य होता है।  तीर्थ यात्रीयो  के समस्त पूज्य स्थलो व्  मंदाकनी की शुद्धता/पवित्रता   बनाने का काम चित्रकूट के नागरिको तथा सरकार  का होना चाहिए। चित्रकूट की  आजीविका तीर्थात्रियो पर निर्भर है। यहाँ का व्यवसायी केवल तीर्थ यात्री से व्यवसाय कर धन तो लेलेते है पर उसके तीर्थो को स्वयं गन्दा करते है और गन्दगी डालने वालो के खिलाफ एक आवाज भी नहीं दे सकते।  यही हाल सरकारो ,मठो और संगठनो  का है। सभी के सभी  मंदाकनी, कामदगिरि और मंदाकनी को जीवन देने वाले पहाड़ो के अस्तित्व को बरबाद करने वाले कृत्यो में लगे हैं।अब पूरे विश्व में मूल्य आधारित व्यवसायिकता का विकास है जो टिकाऊ है। चित्रकूट को सुन्दर पवित्र एव प्राकृतिक रूप से विकसित करने की नियत और कामो से तीर्थ यात्री अधिक आयेगे और सबको आशीर्वाद देगे।  

अभिमन्यु भाई










   

शनिवार, 18 जनवरी 2014

पहाड़ बचाओ -जलश्रोत बहाओ मिशन के संचालन हेतु बैठक

 मिशन 
 पहाड़ बचाओ -जलश्रोत बहाओ 





आज दिनांक १८-१-०१४  दिन शनिवार को सर्वोदय सेवा आश्रम बड़ीपुलिया  चित्रकूट  मुख्यालय में सामाजिक कार्यकर्ता श्रवण कुमार की अध्यक्षता में पहाड़ बचाओ -जलश्रोत बहाओ मिशन के संचालन हेतु बैठक १ बजे प्रारम्भ हुई। बैठक का संचालन श्री राम नरेश जी ने किया।  बैठक का एजेंडा सभी की स्वीकृत से निम्न था -
चर्चा के विषय 
१- मिशन क्यों जरुरी है? 
२- क्या करना है ?
३ -कैसे करना है ?
४ -कब करना है ?
५ -सम्पर्क --सूत्र /कार्यालय 
६ - मिशन टीम की स्पस्टता 
मिशन क्यों ?
इस पर श्री राम स्वरूप जी अभिमन्यु भाई  ,अमित भाई ,श्रवण भाई भरतकूप के संतोष भाई व् रामनरेश भाई ने प्रभावित समस्यग्रस्त गाँवो के भ्रमण के बाद जो देखा उसे प्रस्तुत किया। अनुभवो के आधार पर निम्न ऐसे कारन चिन्हित किये गए जो मिशन के लक्ष्यों को रेखांकित करते है -
सभी ने बाधाओ को चिन्हित करते हुए ९५% लोगो की भावनाओ और समस्याओ के समाधान पर मिशन पर काम करने का वचन लिया।  
१-चित्रकूट का पर्यावरण नष्ट हो रहा है। 
२-चित्रकूट के नागरिको की पहचान चित्रकूट की प्रकृति छवि नष्ट होने से बिगड़ेगी। 
३ -पहाड़ो के टूटने जंगल समाप्त होने व् तालाबो के पटाने तथा नदियो के किनारे पक्के निर्माणो से 
    जल का संकट समाज के सामने हर वर्ष खड़ा है।पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं है।  
४ -मंदाकनी सहित जिले की सभी नदिया २०११ में सूखी। मंदाकनी में जल श्रोत कम हो गए। 
५ -मंदाकनी में शीवर गंदे नाले सीधे डाल दिए गए  --सरयू तथा पयस्वनी जल धाराओ के  बहाव क्षेत्र     में अतिक्रमण और शौचालय लगा दिए गए है।      
६ -खदानो में काम करने वालो का जीवन बहुत ही ख़राब है -उनकी कालोनियो में जीवन जीने के     
    लायक  वातावरण नहीं है। बच्चे अपने अधिकारो से वंचित है।बीमारो के पास इलाज समस्या है 
     तथा गरीबो के पास  बी पी एल कार्ड  नहीं है ----टी बी जैसे रोगी बढ़ रहे है। . 
७ - चित्रकूट के प्रति आस्था रखने वाले बुंदेलखंड /देश प्रदेश के लोगो की आस्था पहाड़ो नदियो में है,
     तथा स्थानीय परम्पराए पहाड़ो और नदियो पर निर्भर है वह टूट रहे है ---सभी इससे दुखी है,
     पहाड़ो को नष्ट करने के निरणय में समुदाय शामिल नहीं है --तथा आम जनता प्राकृतिक 
     धरोहरो का दोहन करने वालो के खिलाफ आवाज उठाने में डरती है। सरकारी लोग मूक है ?
मिशन क्रियान्वयन -
मिशन क्रियान्वयन पर सभी सदस्यो ने निम्न निर्णय समस्याग्रस्त समाज की समस्यावो को रेखांकित किया -
चित्रकूट की समस्याए तीन प्रकार के नागरिको से जुडी है -
१ -आस्था समाज -- यह समाज चित्रकूट को  धार्मिक आस्थाओ से पूजता है जो चित्रकूट नागरिक 
     नहीं है।  लाखो की संख्या में हर माह आता है.
२-  चित्रकूट के नागरिक जो आस्था वाले तथा चित्रकूट से जिनकी  पहचान है। औरंगजेब  ने 
     चित्रकूट में मंदिर बनवाया --------सभी धार्मिक समुदाय  प्राकृतिक रूप से हसता चित्रकूट चाहते 
     है।  
३ - सामाजिक  रुग्णता वाला समाज -यह समाज चित्रकूट ख़राब हो रहा है य खराब इससे मतलब 
     नहीं -इसे शाम की रोटी दे  भगवान है ---यह पहाड़ तोड़ने और क्रेशरो खदानो के बीच जीवन 
     यापन करता है ---कोइ लकड़ी तोड़ कर।  
उपरोक्त समाज में काम करने के लिए निम्न कार्यक्रम निर्धारित किये गए -
१ समस्याग्रस्त समाज में कार्य करने के लिए --समन्यक के रूप में श्रवण कुमार और राम नरेश भाई ने जिम्मेदारी  ली। दिनांक २४ जनवरी ०१३ तक रुग्ण समाज के समुदायो में -रोटी बेटी की 
समस्याओ को जांएगे ---और सामाजिक मुद्दो से जुड़े लोगो की पहचान करेगे। 
२ -नागरिक समाज -चित्रकूट में निवास करने वाले नागरिको तथा संवैधानिक संस्थाओ के प्रतिनिधियो से समपर्क करने की जिम्मेदारी समन्वयक के रूप में  अमित भाई और सुनील ने ली.
इस कार्य में भाई राम स्वरूप रहेंगे। 
३ - आस्था समाज - चित्रकूट से बाहर के जिले जो बुंदेलखंड के है उनमे रहने वाले नागरिक संगठन 
जो चित्रकूट पर आस्था रखते है उनसे संपर्क बनाने की जुम्मेदारी अभिमन्यु भाई को सौपी गयी। 
आगामी बैठक दिनाक २५ जनवरी २०१३ को सर्वोदय सेवा आश्रम में होगी।  मिशन में वर्तमान  सदस्यो ने अपने पदाधिकारियो का चयन कर जिम्मेदारी बांटी -
संयोजक              अभिमन्यु भाई 

सह संयोजक        अमित भाई 
समन्वयक            अमित भाई ,सुनील भाई ,श्रवण भाई राम स्वरुप भाई तथा राम नरेश भाई व् 
                             अभिमन्यु भाई चुने गए।  
कार्यालय प्रभारी     राम स्वरुप भाई तथा राम नरेश भाई
मिडिया प्रभारी        अमित भाई 
संकल्प के साथ सभी ने विदा ली। 
     

मंगलवार, 14 जनवरी 2014

चित्रकूट के टूटते पहाड़ो और मजदूरो /नागरिको के आंकलन की रिपोर्ट


आदरणीय महानुभाव ,                                                              
        १४ जनवरी २०१४  को प्रातः ११ बजे  सर्वसम्मत से सदस्यो ने निर्णय लिया कि - सबसे  पहले भरतकूप के गावो में जाकर स्थित  का आंकलन किया जाय लोगो की राय को जाना जाय- इस क्रम में आंकलन यात्रा पूर्ण की गयी. भ्रमण  रिपोर्ट निम्न है - .
                                                 भरतकूप  की आंकलन यात्रा रिपोर्ट 
लक्ष्य ---भरत कूप के आस पास के गाँवो में  रहने वाले परिवारो में मकरसंक्रांति कैसे मानते है तथा खदानो में काम करने वाले परिवारो की मेले में भागीदारी किस रूप में दिखती है . पहाड़ो के टूटने से सबसे अधिक दुखी समुदाय /व्यक्ति की पहचान करना  मौलिक अधिकारो से वंचित समुदाय कि पहचान  करना।

यात्रा तिथि -              १४-१-२०१४

यात्रा विवरण -
१- श्री राम नरेश भाई  ,श्रवण भाई ,राजेंद्र त्रिपाठी के साथ मैंने भरतकूप के टिटिहरा मार्ग स्थित नई दुनिया .के दलित पुरवा में श्री गैबी  शरण से  भेट की उनकी बातो को सुना ---जानकारिया ली।
२- श्री गैबी  शरण के पुत्र श्री संतोष के साथ भरतकूप के रास्ट्रीय मार्ग ७६ के बगल में बसी आदिवासी बस्ती में कोल परिवारो से मिले उनका रहन सहन  देखा .बच्चो की हालत देखीं.
३- हम लोग  सभी भरत कूप स्थान गए . वहा २ महंत है -सभी से पहाड़ को समाप्त करने के तरीको पर उनकी राय  जानी.
४- संतोष के मार्ग दर्शन पर हम लोग रामपुर माफी के बलराम नगर के बलराम से मिले .

अवलोकित तथ्य -



>बीहर भौटी पहाड़ ग्राम सभा पहरा  और अकबर पुर में है उसमे प्रतिदिन ३ से ४ बार  ब्लास्टिंग होती है . ब्लास्टिंग के पत्थर  टिटिहरा मार्ग स्थित नई  दुनिया .के दलित पुरवा में गिरते है ----लोग भयभीत है --श्री गैबी  शरण के अनुसार २०० परिवार बस्ती में रहते है .
> ब्लास्टिंग की धुल से फसल खराब होती है यंहा करब १२५ बीघा खेती है . .
>यह खतरनाक काम है ---मजदूरो का कई बीमा नहीं है . काम के दौरान कई मजदूर मरे किन्तु उन्हें जला दिया जाता है --कोई आर्थिक मदद नहीं जाती .
> टी बी के मरीज भी कई है किन्तु उनकी दवा की , भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है।  
 
>भरतकूप के रास्ट्रीय मार्ग ७६ के बगल में बसी आदिवासी बस्ती में कोल परिवारो में जीवन जीने की स्थितिया बहुत नाजुक है .घरो शीलन है पानी निकास   की व्यवस्था भी नहीं है . घरो में पढ़ाई का कोई माहौल नहीं दिखा।  महिलाये बच्चो को सूखी खिचड़ी खिलते मिली -और कहा बाबू जी रु १०० का ५ किलो आटा मिलाता है ---नहीं बचता है पैसा दवा के लिए --???????????
> परिवारो की आय केवल भोजन की व्यवस्था तथा छोटी मोटी जरुरतो तक सीमित है --करीब ५० वर्षो से अधिक की यह कालोनी में बाल  श्रमिक हैं. लडकियो की पढ़ाई की कोई सोच नहीं है . इंदिरा आवास सहित किसी भी योजना का लाभ आज तक नहीं मिला -यह पप्पू  आदिवासी ने और वहा की महिलाओ ने बताया .
> बड़ी गम्भीर बीमारी के लिए इलाज करने की भी क्षमता नहीं है. क्रेसर पहाड़ तोड़ने पर कई लोग मर गए पर न तो उनका पोस्टमार्टम होता है न मुवाजा --जिनका पोस्टमार्टम हुवा भी पर नहीं मिला -----------कुछ -यह यह बात बलराम और अशोक ने बताई।
> आजादी के बाद से अब तक इनके परिवार में केवल पत्थर तोड़ने के काम के आलावा कोई काम नई पीढ़ी  नहीं जानती .कक्षा ८ पास लड़की हमें नहीं मिली .
> क्रेसर अनवरत चलते है। पत्थरो के कण  धूल के साथ पूरे वातावरण में फैले है। साँस से लेकर भोजन तक में यहाँ का प्रत्येक बच्चा नागरिक ,पशु अनवरत ले रहा है -आसपास की फसले घर धूल से ढके मिले। 
> अपने ऊपर होने वाले अत्याचारो के विरुद्ध अपनी बात कहने भी ताकत पुरे समुदाय में नहीं है . नशा यंहा जबरदस्त है.
>गांव सभा क्या है पारिवारिक लाभ क्या है , सामाजिक आडिट क्या है नहीं जानते किन्तु पेट  की आग को बुझाने के लिए --बड़े-बड़े  पहाड़ो को रातदिन तोड़कर क्रेसर में पीस कर गिट्टी बनाकर मालिको को समय पर देना अच्छी तरह जानते है .
>गांव सभा की बैठक में कभी नहीं गए . यह सब वोटर है - पर नागरिक सुविधाओ से वंचित है --इनके पास बी पी एल कार्ड तक नहीं है ??
>भरतकूप के महंतो ने कहा कि ४० वर्ष पहले मात्र गिनती के क्रेसर थे अब तो यंहा क्रेसर ही क्रेसर है ---पहाड़ो के अँधा धुंध दोहन से बहुत बड़ा नुकसान
  होने वाला है ---यंहा के जल श्रोत सूखेंगे -एक महंत जी ने कहा यह तो बंद नहीं होगा क्यों कि सर्कार यह चाहती है ,
निर्णय-
उपरोक्त अवलोकित तथ्यो के आधार पर हमारी टीम ने निरनय लिया कि ------इन सभी मुद्दो को समाज के जागरूक लोगो के समक्ष रखा जाय.


सामाजिक पहरुवो कि बैठक दिनाक १७ जनवरी ०१४  को सूरजकुंड में आयोजित होगी . इस रिपोर्ट पर आपके सुझाव महत्व पूर्ण होंगे।यदि आप भी इसमे आयेंगे तो बड़ी ख़ुशी होगी। 

सादर
अभिमन्यु भाई
bhaiabhimanyu@gmail.com
09415243082

                                                                                                                                





    चित्रकूट  चिंतन 

अवलोकित मुद्दे -
१- चित्रकूट के प्राकृतिक चित्र --हंसते चित्रकूट भरतकूप के  पहाड़ समाप्त हो रहे है  ,अविरल निर्मल सदा नीरा बहाने वाली मंदाकनी सूखने लगी है.
२- मंदाकनी के उद्गम स्थान से लेकर कर्वी तक इसके बहाव क्षेत्र में पक्के निर्माण जारी है,मंदाकनी को बहने में दिक्कत है -
३- मंदाकनी की २ सहायक पौराणिक नदियो को  रामघाट के पहले सरकार समाज ने मिल कर  मार दिया--इनमे अब सीवर बहाया जा रहा है. 
४- चित्रकूट में रहने वालो की पहचान पर  तथा चित्रकूट पर आस्था रखने वाले बुंदेलखंड व्  देश के करोडो लोगो की आस्था पर -आपदा दिख रही है .
५- निरंतर टूटने पीसने वाले पहाड़ो और सूखे जल श्रोतो के आसपास रहने वाले समुदायो में कुपोषण स्वांस के रोगी बढ़ रहे है -इलाज नियमित नहीं है तथा बड़ी संख्या में बच्चे और युवा नशे में लिप्त है आजीविका वाली शिक्षाओ का कोइ माहौल समुदाय में नहीं है .


सम्मानित नागरिको /मित्रो 
                                  मुझे आज भी स्कूल की प्रार्थना मेरा अंतह करन निर्मल करती है तथा मार्ग दर्शन देती है --जिसके परिणाम स्वरुप आपसे कुछ कहने की हिम्मत जुटा पा  रहा हू.-----------प्रार्थना की प्रेरणा दायक पंक्तिया  है --
                                                     वह शक्ति हमें दो  दया निधि कर्तव्य मार्ग पर डट जाये 
                                                     जिस देश जाती में जन्म लिया -बलिदान उसी पर हो जाये -
                                  हमारे और आप में बड़ा अंतर इसलिए अंतर नहीं दिखरहा चूकि आप भी उसी वेदना से दुखी है जिससे मै विचलित हू --इसीलिए आपसे कुछ कहने के लिए खड़ा हू.
दोस्तों 
                             अब चित चेती चित्रकूटहि चली ----------------


                             चित्रकूट हमारी पहचान है --------गर्व के साथ कहते है की हम चित्रकूट में रहते है इतना ही नहीं चित्रकूट पर आस्था रखने वाले देश के अन्य प्रांतो में रहने वाले लोग जब यह जानते है की हम चित्रकूट के है तो वह श्रद्धा से हमारे चरण  छूने लगते है --------कितने ऐसे है जिनकी भागवत लोग 
इस लिए सुनते है कि ----------चित्रकूट वासी है . किन्तु और परन्तु के बीच मै आपको झंझकोरने  की कोशिश इसलिए  कर रहा हू कि--आने वाले ५ वर्षो तक चित्रकूट के परम्परागत  निवासी आस्थावान लोग ------गहरी नींद में सोते रहेगे तब आपको पता चलेगा कि चित्रकूट विलुप्त हो गया .जिसे सरकारे क्या कोइ विज्ञानं   हमारी पहचान को वापस लौटा पायेगा .यानि पहाड़ो कि जगह मैदान होगे ------------मंदाकनी क्षेत्र में नाले इमारते होंगी --------------हमारे आपके बच्चे नसेड़ी होकर मल्टिनैशनल कम्पनियो और जनप्रतिनिधियो कि फैक्टरियों  और  ,क्रेशरो में गेटकीपर अथवा बन्दूक टांगने वाले होंगे . कभी कभी तो मुझे लगता है कि --हम लोगे से अच्छी बरगढ़ के पत्थरो में रहने वाली अनपढ़ आदिवासी महिलाये रानी सावित्री ,देवरती  है जिन्होंने एक जुट होकर जमीन के दलालो से लड़ाई लड़ --बजाज के  थर्मल पवार प्लांट को नहीं लगाने दिया- यह हम सभी के लिए प्रेरणा प्रद है .एक बात और विचारणीय है कि विश्वविद्यालयो कि भूमिका समाज में क्या है ???क्या इनका उपयोग समाज कर पर है या -इनके प्रयासो  स्थानीय युवको की सोच में स्वालम्बन स्थापित हुवा है --------बच्चे शारीरिक रूप से या मानसिक रूपसे विकलांग न   पैदा हो इस पर विश्विद्यालयों ने कोइ माडल खड़े किये है जो सीखने -अनुभवो को साझा  करने की  ताकत रखते हो.इनकी उपयोगिता क्यों नहीं बढ़ रही इस पर भी सोचना होगा।     
                               चित्रकूट की मिटटीयो  का मिलन -----------चित्रकूट को बचाने में आब प्रारम्भ करना होगा . आप जंहा भी है वाही से इस विषय को समझिये  और जो बन सकता है वह ---कीजिये . तभी आप चित्रकूट की  असली मिट्टी है .धर्म जाति की सीमाओ को त्याग कर चित्रकूट बचाने में जुटिए आप जंहा है वाही से नेतृत्व शरू कीजिये ---------देर अब ठीक नहीं क्योकि सूर्यकुंड  का पहाड़ हाँथ से जा चूका है . मै पूर्व  जिलाधिकारी श्री जग्गन्नाथ सिंह ,जी,साहित्यकार श्री  बलबीर सिंह ,पूर्व कुलपति ग्रामोदय विश्व  विद्द्यालय  श्री टी करुणाकरण ,  भाई रूद्र मिश्रा एडवोकेट सहित फेस बुक के मित्रो  का जिन्होंने  मुझे इस मुद्दे पर ---मार्गदर्शन  दिया .
                               इसी क्रम में चित्रकूट के विषय में सम्मानित नागरिको ने बैठके रखने का प्रस्ताव किया है जिनकी तिथिया निम्न है=
दिनांक                                                    स्थान                                               समय                                              जिम्मेदार महानुभाव 
१४ -१-०१४                                                सूर्य कुंड                                          १ बजे से                                                 राम नरेश वर्मा 
१५ -१ ०१४                                                पुरवा तरौहां                                     २ बजे से                                                  राम स्वरुप यादव 
यदि आप अपना ईमेल आई डी देंगे तो आपको बैठको की कार्यवाही आसानी से भेज देगे . 


आप अपने सुझाव निम्न पते पर देंगे बड़ी कृपा होगी .
bhaiabhimanyu@gmail.com 
किसी भी जानकारी के लिए निम्न फोन पर संपर्क कर सकते है -

9415143082 
आपका

अभिमन्यु भाई