गुरुवार, 6 जुलाई 2017

Can India make Natural power ???








भारत का इजराइल
बुन्देलखण्ड के
बरगढ मे कही झलकता है!
क्या बुन्देलखण्ड कभी
इजराइल की तरह पानी दार
बन सकता है ?
कल बरगढ के करीब 7 ग्राम पंचायतो का समाज बिना सरकारी मदद से अपने सामूहिक श्रम से खोदे गये करीब 17 तालाबो मे पहली बरसात के पानी से लबालब भरा देख खुश हो रहा था।
सभी के सभी नागरिक बच्चे अपने को पानीदार महसूस कर रहे थे और मै भाई नरेन्द्र मोदी जी के इजराइल मे दिये जा रहे भाषण से बहुत खुश था ।
एक ऐसा व्यक्ति हुवा जिसने 800 साल पहले भारत के सूफी संत बाबा फरीद की बात इजराइल मे जाकर कही ।
भारत इजराइल
तब गया जब भारत युवा हुवा ?
और यहां का आम युवा अकुशल है जिसे कुशल
बनाने मे भारत सरकार लगी है !
और इजराइल के युवा ही इजराइल की शान है ?
आत्मविश्वासी आत्म सम्मानित और दक्ष है !
इजराइल के युवा आपदा प्रबंधन मे माहिर है वह पहले काम कर लेते है सरकार बाद मे आती है और भारत का युवा आपदा मे केवल टोल फ्री नम्बर तथा नेते जी का मोबाइल नंबर ही जानता है और उसी केवल सहारे बैठा रहता और आपदा मे  तोड़ देता है ?
क्यो 70 वर्ष लगे भारत को इजराइल पहुँचने मे ?
भारत इजराइल से कई गुना बडा देश है जैसे जनसंख्या तथा क्षेत्रफल मे देखे तो इजराइल बहुत छोटा दिखेगा!सायद एक छोटे देश मे न जाना भी एक डिप्लोमेसी ही होगी ?
यह सब बाते राष्ट्र संचालन के मुद्दे की है जो मेरी समझ से परे है ?
लेकिन 70 साल बाद इजराइल जाना भारत की मजबूरी मुझे निम्न बातो मे दिखती है -
1- इजराइल कैसे बडे से बडे देश
    को धूल चटाता है ?
2- भारत के नागरिक तथा इजराइल
     के नागरिक मे अन्तर क्या है?
3- इजराइल की आपदा प्रबंधनकी तकनीक को
    जानना और सफलता की कुंजी खोजना।
सोचिए कि
बाबा फरीद के पास जो कुंजी थी उसे इजराइल ने एक तीर्थ की तरह स्तेमाल किया ।
किंतु भारत बाबा फरीद की बात आज तक नही समझ सका ?
यदि भारत सब कुछ जान भी गया तो क्या भारत का प्रत्येक नागरिक इजराइल नागरिक की तरह एक सम्मानित नागरिक दिख सकता है ? यदि हां तो कैसे ?यह प्रश्न मेरे दिमाग मे तब उत्पन्न है जब से मैने भाई नरेंद्र मोदी जी को इजराइल मे सुना ।उन्होने अपनी बातो को बखूबी रखा जिसमे सबसे अधिक उन बातो को रखा जिन बातो की नीव पूर्व प्रधानमंत्री स्व नरसिम्हा राव ने रखी थी वह थी -ग्लोबलाइजेशन की ?
इजराइल ने जल जंगल जमीन और जीवन को सम्मानित कर ही अपने को ताकत वर स्वावलंबी तथा स्वाभिमानी बनाया है ।एक एक बूंद वर्षा जल का सम्मान किया है और उससे जो उगा उसी से अपने को ताकतवर बनाया है ।
प्रधानमंत्री जी ने भारत के सभी विषयो पर बखूबी साहस के साथ अपनी बात रखी पर भूमि तथा रियल स्टेट के बीच के दर्दनाक स्थिति से निपटने के तरीको को नही बताया ।
भारत का जवान/युवा
बूढी मर रही नदियो के बीच कैसे जीवित रहेगा यह भी नही बताया ?
भारत की आवास नीति मे ईमानदारी कैसी आए तथा
इमारत संस्कृति कैसे
लुप्त होते भारतीय व्यंजन /बोली /भाषा को बचाएगी?यह भी नही बताया?
भारत की कितनी कृषि योग्य भूमि भारत के आवास रियल स्टेट और लेगे  इसकी भी कोई सीमा भारत के भूमि विकास /कृषि मंत्रालय के पास नही है ?
भारत की एक निर्धारित सीमा है तब जमीन /भूमि भी तो निर्धारित  है ? वह कैसे बढेगी ?
बुन्देलखण्ड की पंचायत मे कोई भी कहीं भी मकान बनाए और कितना बड़ा से बडा क्षेत्रफल ले कोई सीमा नही ।
जितना बडा नेता उसका उतना ही बड़ा मकान और संख्या कितनी भी हो ?
बरसात की बूंद
सीमेंट की सडको से कैसे धरती माता के पेट मे जायगी ?
यह तकनीक हमे इजराइल नही बता सकता ?क्योंकि उसने सीमेंट का स्तेमाल प्राकृतिक संतुलन के आधार पर किया है ।
सच मे मोदी जी के अल्प कार्यकाल मे बहुत बडी उपलब्धि रही कि FDI तथा GST को लागू हुई। पूर्व की सरकार ने शुरुआत तो थी किन्तु लागू नही करा सकी ।
मोदी जी ने पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रक्रिया को सरल बनाया ।अब 6 माह के अन्दर प्रमाण मिल जायेगे। यानी खनिज दोहन वैधानिक रूप से चौगुना होगा ।
मनमोहन सिंह जी अहलूवालिया जी के सुधार तथा भाई मोदी जी की सुधार नीति मे बडे अन्तर जो दिखते है वह है -
1- मनमोहन सिंह जी अहलुवालिया
    जी नदी को वस्तु कहते थे और
    भाई मोदी जी माता कहते है ।
2- उनकी नीतिया भ्रष्टाचार के कारण
    तथा अति लोकतांत्रिक होने के कारण
     अमल मे नही आती थी पर मोदी
     जी के व्यक्तिगत ईमानदार होने
     तथा वह समय पर दिख रही
     है।
क्या भारत सच मे
इजराइल की तरह आत्मनिर्भर राष्ट्र
बन सकता है?
क्या भारत का आम युवा इजराइली युवा की तरह आत्मसम्मानी और उत्साही दिख सकता है ?
यदि हां तो कैसे कब तक ?
इन बातो को भारत के जल जंगल जमीन श्रम तथा पारिवारिक सामुदायिक तथा सामाजिक परिस्थिति मे दिखने वाली अशान्ति के बीच से खोजने होगा ।
असंतुलन हम कैसे कम करेगे यह सोचना होगा ?
innovation के लिए जो संकल्प शक्ति
भारत के गांवो मे थी
वह राजनैतिक लोगो ने ही तो मारी ।
गांव को 20 साल की सहभागी प्लानिंग करने का कोई अवसर नही तब  Innovation केवल सरकारी अधिकारी और जनप्रतिनिधि ही करते वह भी शासन की मंशा से ।
सरकार की जैसी मंशा /गाईड लाइन वैसा Innovation?
जितने विभाग है उतनी प्लानिंग है और इसके साथ यदि कोई स्वयंसेवी संगठन है तो उसकी अपनी प्लानिंग और बजट है ।
कही कोई समन्वय दूर दूर तक नही दिखता ?
बच्चो के सुनने वाले फोरम बच्चो से दूर है शिक्षक समाज मे विलुप्त है जो है वह अपने व्यक्तिगत विकास मे लगे है ?
भारत के शिक्षक राजनीतिक मे अधिक रहते है जैसे
÷ माननीय मुलायम सिंह
÷ माननीय मुरली मनोहरजोशी
स्कूल मे बच्चो का ठहराव और शिक्षक का ठहराव नही है।महाविद्यालय मे फर्जी वाडा है और विश्व विद्यालय मे जाति तथा कमीशन बाजी और फर्जी रिजल्ट बनाने मे सब परेशान है ?
जितने नेता /संत  है सबके पास महाविद्यालय /विश्व विद्यालय है पर इन्सान बनाने की कोई पाठशाला नही है ?
यह इजराइल के पास है ?
मै भारत के प्रधानमंत्री की इजराइल यात्रा को बहुत ही रचनात्मक मानता हू ।
मै भाई नरेंद्र मोदी की स्मरण शक्ति तथा तथ्यो के साथ कई विषय की मुख्य जानकारी का एक साथ प्रस्तुतीकरण करने की कला को विशेष रूप से तब मानता हू जब वह बेबाक बिना लिखित पेपर के धाराप्रवाह बोलते है।
उन्होने बहुत अच्छे तथ्यो के साथ भारत और इजराइल के बीच मूक सम्बन्धो के इतिहास को बखूबी तब प्रस्तुत किया जब इज़राइल के प्रधानमंत्री बेन्जामिन नेतन्याहू  ने भारत के प्रधानमंत्री भाई नरेंद्र मोदी का स्वागत प्रोटोकॉल की सीमाओ को तोड़ कर तहे दिल से किया।
भाई मोदी जी ने बखूबी यह बताने की कोशिश की भारत की आध्यात्मिक शक्ति ने इजराइल को संरक्षित कैसे किया ?
उन्होंने बताया कि इजराइल का पवित्र पूजा स्थल यरूशलम कैसे तेजस्वी हुवा। भारत के महान सूफी संत बाबा फरीद 13 वी शताब्दी मे
यरूशलम  आए और यहां एक गुफा मे रह कर लम्बी साधना की।इस साधना का प्रभाव है कि यह जगह आज तीर्थ स्थल है।
अभिमन्यु भाई

संत व भू माफिया मिलकर ऋषि मुनियो की समाधियों को तोड़ने में हुए आमादा ....

संत समाज को लज्जित करने वाला एक बेहद ही  शर्मनाक मामला धर्म नगरी मे सामने आया है ।जहां एक विश्व प्रसिद्ध आश्रम के महंत द्वारा ट्रस्ट की जमीन को बेचने के लिए अपने गुरू जनो व पूर्वज संतो की समाधियों को ही बेचने में अमादा हो गया है और भूमाफिया  को संतों की समाधियों को तोड़ने का गुप्त ठेका दे दिया है आपको बता दें कि यह पूरा मामला चित्रकूट के पीली कोठी आश्रम के महंत दिव्यानंद द्वारा सतना चित्रकूट मार्ग में स्फटिक शिला के पास बेशकीमती जमीन को बेचने के लिए यह घिनौना खेल खेला गया है जिसमें भूमाफिया राजकिशोर शिवहरे ने महंत दिव्यानंद से ट्रस्ट की जमीन को खरीदने के लिए उस जमीन को कब्जे में लेकर उसको पूरी तरह से लेबल करवा दिया है हरे भरे पेड़ों को काटने का भी काम शुरू कर दिया है यह जमीन पीली कोठी आश्रम के लगभग 500 वर्ष से भी अधिक पुरानी है ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि यहां पर पीली कोठी आश्रम से जुड़े हुए महंतो की ग्यारह समाधियां बनी हुई है और यह जमीन संस्था की है इसलिए इस जमीन को भू माफिया द्वारा कब्जे में लेकर के इन समाधियों में से एक समाज को खंडित भी कर दिया गया है आपको बता दें कि चित्रकूट के आराजी संख्या 163/2 हल्का राजौला जो की पिली कोठी आश्रम ट्रस्ट के नाम उसे  संत दिव्यानंद अपने निजी हित व ऐशो आराम  के लिए इसको बेचने में तुला हुआ है और इस 22 बीघे बेशकीमती जमीन का 40 करोड़ रुपए में सौदा भी कर लिया है जिसको राजकिशोर शिवहरे जो कि पहले भी मध्यप्रदेश क्षेत्र की धर्म नगरी में कई जमीनों पर अवैध कब्जे को लेकर के सुर्खियों में रहा है और एक बार फिर इस संत की मिलीभगत से धर्मनगरी की शाख को कलंकित करने में आमादा  हो गया है गौरतलब है कि पीलीकोठी आश्रम की कई संस्थाएं हैं जिनमें मथुरा ,हरिद्वार जैसे कई तीर्थ स्थलों में भी अपनी आश्रम होने के कारण दिव्यानंद द्वारा चित्रकूट के आश्रमों की जमीन को एक-एक करके बेचने का काम शुरू कर दिया है और संस्था की जमीनों को बेच कर अपना स्वार्थ सिद्ध कर अपने नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने का काम भी करने लगा है वही स्थानीय राजस्व अमला बाबा के रसूख के आगे घुटने टेके हुए है वही सरकार के एक रसूक दार मंत्री का नाम भी सुर्ख़ियो में है जिसके कारण बेख़ौफ़ कार्य किया जा रहा है  ।।


अतुल मिश्रा(पंकज)
   चित्रकूट