शुक्रवार, 4 मार्च 2016

सूखी मंदाकनी -पयस्वनी नदी संवाद यात्रा -रिपोर्ट ४ मार्च ०१६


४ मार्च २०१६ को बुंदेलखंड  चित्रकूट जनपद के पहाड़ी विकास खंड में सगवारा  गाँव के नागरिको के साथ संवाद ग्राम भ्रमण के बाद श्री शिव बली सिंह के दरवाजे में ११ बजे प्रातः प्रारम्भ  हुवा। आज यात्रा का दूसरा दिन था। इस संवाद में गाँव के सुरेश सिंह ,ब्रजकिशोर द्विवेदी अभिशेष उपाध्याय ,यशवंत सिंह शिवानंद तथा रमाकांत पाण्डेय सहित कई वरिष्ठ सम्मानित नागरिक सम्मलित हुवे।वाल्मीक नदी से आये भाई हरिशंकर भी इस संवाद के साक्षी रहे। गाँव के वरिष्ठ नागरिक श्री शिवबली सिंह ने पूछा कि मंदाकनी में जल कैसे,कैसे मंदाकनी बहे ? गाँव के लोग हम लोगो से इसकी जानकारी ले रहे थे। मैंने गाँव के लोंगो से पूछा कि नदी सूखी क्यों ?एक नदी गीत मैंने सुनाया -नदी हू तुम्हारी तुम्हारे लिए हूँ ------------
जिसमे नदी मरण की कहानी थी। गीत को सुन कर गाँव के अरुण पाण्डेय ने बताया कि -चेकडैम ने मंदाकनी नदी को सुखाया है। बँधवाइन बाँध में बने डैम में पानी कम होने के कारण वही रोक गया है और उससे कर्वी की सिचाई कर रहे है। पानी पर हमारा भी हक़ है। सबको बराबर पानी मिलाना चाहिए। कर्वी को ज्यादा पानी और हमें एक बूँद पानी न मिले यह कहा का न्याय है। गांव के लोगो ने बताया कि सरकार द्वारा पयस्वनी नदी में करीब १८ नए चेकडैम आये है। हम सब लोग मंदाकनी में चेकडैम नहीं चाहते। पानी जब बहता रहता है तो नदी में हर जगह छिपे छोटे मझोले बड़े जल श्रोत भी खुले रहते है बहते है। सगवारा गाँव की सीमा में नदी के अंदर एक कुण्ड है उसमे आज भी बड़ी मात्र में जल है जिससे लोग खेत सीच रहे है ?नदी सूखी है ?सभी ने सरकार से बँधवाइन में बंधे बाँध में फाटक और हमारे हिस्से का जल हमें मिले तथा नदियों के जलस्रोत सदा नीरा रहे इसके लिए नदी में कोई निर्माण कार्य न हो और न नदी में चेकडैम बने।पयस्वनी बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक श्री रूद्र देव सिंह ने कहा कि अभी देश में जाटों की अनुचित मांगो को जाटों की एकता के कारण सरकार ने मान लिया हमारी मांग तो उचित है। अरुण पाण्डेय जी ने कहा कि -जाटो का आंदोलन शर्मनाक था हिंसक था। ऐसे आंदोलन उचित नहीं है। हाँ शांति पूर्ण तरीके से अपनी बात करेंगे।हम सब लोग इस मुद्दे पर आपके साथ है।  सागवारा में  सभी ने नदी पर अच्छे विचार रखे। गाँव के लोगो ने बताया कि अांगनवाड़ी में बच्चो को पोषाहार नहीं मिलता और प्राथमिक विद्यालयों में वह शिक्षक नहीं है जो अच्छी शिक्षा दे सके।सगवारा गाँव बहुत स्वच्छ एवं व्यवस्थित दिखा।





अगले चरण में हम लोग भाई रूद्र देव जी के साथ लोहदा गाँव गए। गाँव के अंदर की रोड़े बहुत खराब तथा नदी जो गाँव के किनारे बहती थी आज वह विलाप करते मिली।ग्राम लोहदा की प्रधान महिला है उनके पुत्र श्री संतोष कुमार दिवेदी साधू है और नदी के किनारे उनका आश्रम है। प्रधान जी ने गाँव में नदी संवाद पर दिग्गी पिटाई पर इस संवाद में गांव की ओऱ से गिनती के १० लोग सम्मलित हुवे। जो लोग सम्मलित हुवे। संवाद में संत संतोष जी ने पूछा कि नदी कैसे बहेगी ?इस पर रूद्र सिंह ने बँधवाइन बाँध में रुके जल और उसके खोले जाने पर अपनी बात रखी और यह भी बताया कि इस आंदोलन में मेरा स्वार्थ क्या है ? संवाद आगे बढ़ा मैंने जल पुरुष भाई राजेन्द्र सिंह के द्वारा राजस्थान में पानी के काम को बताया। राजस्थान अकालो का क्षेत्र था। वहाँ बरसात पुरे साल में ३०० एम एम से अधिक नहीं थी। कारण था कि राजस्थान के समाज ने जंगल काट डाले थे। पानी को रोकने वाले सभी प्रकार की पम्पराये समाप्त होगयी। जिस ज़मीन में नमी नहीं होती वहाँ बादल नहीं आते। आज बुंदेलखंड का भी यही हाल है। इधर २-३ सालो से बरसती बादल मुंह चिढ़ा कर दूर से चले जाते है --जब की इससे पहले बुंदेलखंड में ८०० एम एम बरसात होती थी।गाँव के पर्व प्रधान तथा राजा साहब लोहदा ने इस बात को स्वीकारा। 
 राजेन्द्र सिंह ने तालाबों को बना कर और उचित जगहों में चेकडैम बनाकर पानी को रोका।पेड़ो को समाज से लगवाया और समाज से सीख कर समाज से काम करा कर -ऐसा वातावरण निर्मित हुवा कि जमीन में नमी बढ़ी और बदलो ने आना शुरू किया।जिसका परिणाम था की ७ सूखी नदियों को पुनर्जीवित किया। बुंदेलखंड के समाज को समझाना होगा। आज कभी न सूखने वाली मंदाकनी नदी इसलिए सूखी कि समाज ने नदी पर अत्याचार किये। जंगलो को काटा पहाड़ो को तोडा इतना नहीं हमारी तालाबों के साथ दूरी होगयी। जो समाज सामुदायिक -साझा सम्पत्तियो में रचता बसता वह समाज उसकी देखभाल नहीं करता। सारा काम सरकार भरोसे। नदी में सभी लोग जाए १/२ घंटे नदी की खुदाई कर श्रमदान यज्ञ करे। नदी माता है उसे सहलाये और भगवान से प्रार्थना कर। जो लोग नदी/ तालाब /जंगल /पहाड़ आदि सामुदायिक स्थलों का ज्यादा प्रयोग करते करे उनको ऐसे स्थानो के संचालन की जिम्मेदारी दी जाय।यह सब काम जब यह काम करने लगेंगे तब बुंदेलखंड में बरसात सुरु हो जायगी। और नदिया बहने लगेगी ?
 

गाँव एक नागरिक बसंत ने बताया कि हम लोग पिछले सालो में जब चेकडैम से परेशान हो गए तो उसे तोड़ने गए। सरकारी लोग एक तरफ और गाँव के लोग एक तरफ। सरकार ने हम पर करीब ८ केश लगाए २१ दिन हम लोग जेल में रहे। किसी नेता ने हमें नहीं बचाया। इसी बीच नागरिक जयनाथ सिंह ने बताया कि नदी को मोड़ा गया उस समय किसी ने विरोध नहीं किया।
संत संतोष द्विवेदी ने कहा कि नदी पुनर्जीवन को समाज के साथ किया जाएगा और सरकार इसमे सम्मलित करेंगे।
औदहा में ग्राम प्रधान बच्चा जी के साथ चर्चा हुई। हमारी संवाद यात्रा के बारे में उन्हें कोई जानकारी नही थी। उनके साथ लवलेश कोटार्य ,डाक्टर श्रवण कुमार मिश्र ,समीर द्विवेदी ,आदि के साथ चर्चा हुई। गाँव के लोग अपनी पयस्वनी नदी के सूखने से सबसे परेशान दिखे। सभी ने बताया कि गाँव के सभी हैण्ड पम्प पानी छोड़ने लगे है -नदी सूखी है तालाबों में पानी नहीं है। सबसे बड़ी समस्या पशुवो के पानी की हो रही है। यदि आने वाले दिनों में हैण्ड पम्प सूख गए तो गान में रहना मुश्किल हो जाएगा। बिजली का वोल्टेज काम है -कोई मोटर से पानी भी नहीं निकाल सकता। सभी परेशान है।हमने लोगो से कहा की समाज को अच्छे कामो की अगुवाई करने के लिए आना होगा। सारा काम सरकार और प्रधान भरोसे करने से अब काम नहीं चलेगा। समाज ने अपनी जिम्मेदारी के काम छोड़ सरकार पर छोड़ दिए तभी तो सब बिक गया ?
मंदाकनी कैसे बहेगी ?जब सरकार और समाज नदी के साथ निरंतर निम्न व्यौहार करेंगे -
>जंगल ख़त्म कर देंगे
>पहाड़ बेच देंगे =समाप्त कर देंगे
>,नदियों के सीने में बाँध बनादेंगे और नदी की अविरलता को रोकेगे।
> नदियों की और उनमे मिलाने वाले जल श्रोतो तथा नालो की सीमा निर्धारित नहीं करेंगे।
>नदियों की सीमाओ में भी / किनारो में पक्का निर्माण करायेगे ?
>नदियों में समाज मिलकर श्रम दान नहीं करेगा ?
>अपनी गन्दी नाली -टट्टिया और शहर का सीवर गंदे नाले नदी में डालगे ?
जब नदी नहीं होगी तब आपके हैण्ड पम्प और कुवे तो सूख ही जायेगे ?
फिर आप कैसे जीवित रहेंगे ?
- किस पानी से वजू करेगे -
आने वाली पीढ़ी के लिए पहाड़ बचाये ???????????????????
औदहा के नव निर्वाचित ग्राम प्रधान श्री बच्चा जी ने कहा कि इस पर गाँव के साथ संवाद रखेंगे। आप सभी को बुलाएंगे।

मौका मिले तो आप भी चलिए सादर आमंत्रित है ।
अभिमन्यु भाई
संयोजक
बुंदेलखंड जन जल विशवास यात्रा
कार्यालय
सर्वोदय ग्राम बेड़ी पुलिया -चित्रकूट
०५१९८२३३०७३ 










गुरुवार, 3 मार्च 2016

सूखी पयस्वनी मंदाकनी नदी संवाद यात्रा रिपोर्ट

                                                       

                                              

                                                        ३ मार्च ०१६ की रिपोर्ट
                 बुंदेलखंड जन जल विश्वास यात्रा के प्रथम चरण में पयस्वनी /मंदाकनी नदी संवाद यात्रा चित्रकूट जनपद के सबसे  पहले अर्की गाँव पहुंची।इस ग्राम पंचायत तक मंदाकनी पूरी तरह सूख गयी है।  जिसका चित्र ऊपर है।
                इस गाँव के श्री दिनेश कुमार प्रजापति,अदयभान ,रामरूप ,सहित करीब ५० नागरिक प्रधान जी के निवास में एकत्र थे।संवाद क्या है ? क्यों मुद्दो पर संयोजक श्री रूद्र देव सिंह ने प्रकाश डाला। लोकतंत्र सेनानी श्री भागीरथी सिंह गांधी ने कर्वी में नदी की स्थित बताई।अभिमन्यु भाई ने नदी पर एक मार्मिक गीत प्रस्तुत किया।गीत से भावुक वयोवृद्ध निरक्षर प्रहलाद ने बताया कि हमारे जीवन में पयस्वनी  नदी पहली  बार सूखी है।  नदी हमारी माता है। इसके सूखने का  मुख्य कारण नदी में चेक डैम है। शशिभूषण सिंह ने बताया कि अर्की के नीचे -कुसैली ग्राम पंचायत की सीमा में एक कुण्ड है जन्हा जल श्रोत है वहां से पानी अभी निकल रहा है। अर्की से पहले सरधुवा आदि गाँवों में नदी पूरी तरह सूख गयी है।नदी के सूखने से गाँव के कुवे हैण्ड पम्प सभी सूख गए है। नदी के कुछ कुंडो  में जो पानी भरा है वह जहरीला हो गया है। समाज अभी भी उनमे मरे जानवर डाल रहा है। कुछ लोग ऐसे कुंडो  के बाद बीमार पड़ जाते है। इस संवाद में करीब २० -२५ लोगो ने भाग लिया। नदी पुनर्जीवन के लिए सक्रीय योगदान देने की बात कही। सरकार नदी पुनर्जीवन के बारे सोचे इसके लिए एक सांकेतिक धरना सरधुवा ग्राम में किया  जाय। इसे सभी ने कहा जो स्वीकार किया गया।   


से राजापुर तक सूखी पयस्वनी /मंदाकनी नदी के पुनर्जीवन को लेकर निर्धारित कार्यक्रम के तहत आज क्रमश अर्की ,कुसेली ,महुवा तथा पनौटी गाँवों में हम लोग गए। यात्रा में मंदाकनी नदी बचाओ  संघर्ष अभियान के संयोजक श्री रूद्र देव सिंह,लोकतंत्र सेनानी श्री भागीरथी सिंह गांधी , किसान संघ के श्री युधिष्ठिर भाई ,सगवारा के युवा सामाजिक कार्यकर्ता श्री रमाकन्त पाण्डेय और बुंदेलखंड जन जल विश्वास यात्राके संयोजक अभिमन्यु भाई थे।

         यात्रा करीब १ बजे कुशेली गाँव पहुंचे। वंहा पर भी संवाद हुवा। सभी ने वही सब बाते बताई जो अर्की गाँव के लोगो ने बताई। बैठक में श्री उदयभान ,धीरज पाण्डेय ,कमाता प्रसाद द्विवेदी ,विजय बहादुर सिंह अनुज मिश्रा जैसे लोगो ने नदी पुनर्जीवन के कामो में अपने योगदान देने हेतु संकल्प लिया। कुसैली में हम लोग नदी देखने गए जन्हा नदी बहती मिली पर पानी कम था। गाँव के लोगो का कहना था कि नदी दिन प्रतिदिन सूख रही है। यह पानी अर्की के पास एक कुण्ड से निकल रहे जल श्रोत का है।गाँव में प्राथमिक विद्द्यालय में शिक्षक सही पढ़ाई नहीं कराते और मिड मील नहीं बनता। आंगनवाड़ी कुसैली गाँव से करीब १किलोमीटर पर है ?सभी बच्चे नहीं जा पाते। 
        यात्रा का अगला पड़ाव महुवा गाँव था। वहा गाँव के कई बुद्धिजीवी संवाद में सम्मलित हुवे।
विनोद सिंह ,अजय सिंह ,कमल सिंह ,गन्धर्व सिंह ,राम प्रकाश उपाध्याय ,जितेंद्र सिंह ,शिव चरण सिंह तथा विनय सिंह जैसे नागरिको ने संवाद में प्रतिभाग किया.सभी लोगो ने वही समस्याएं रखी जो पिछले गाँवों में लोगो ने बताई। सभी ने ७ मार्च ०१६ को  सांकेतिक धरने की
बात का समर्थन किया। 
          पनौटी गाँव में एक युवा की गड्डे में गिर जाने से अचानक मृत्यु होगयी थी। इस युवा को मिर्गी आती थी। थोड़े से पानी में तड़फ कर मरने से गाँव दुखी था।  इसलिए यंहा संवाद नहीं हो सका।
अभिमन्यु भाई
सामाजिक कार्यकर्ता
संयोजक
बुंदेलखंड जन-जल विश्वास यात्रा
९४१५१४३०८२