मंगलवार, 14 जून 2011

देश में सबसे बड़ा भ्रस्टाचार तो नदियों के ऊपर है .


बुंदेलखंड को पानीदार बनाने वाले कार्यो को देखने के लिए जल पुरुष राजेंद्र सिंह ८ जून २०११ को चित्रकूट आये . गायत्री शक्ति पीठ चित्रकूट में आयोजित सभा में उनका स्वागत महात्मा गाँधी ग्रामोदय विश्व विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पांडे ,गायत्री पीठ के प्रभारी श्री राम नारायण त्रिपाठी जी ने किया . सभा में मंदाकनी के सूखते जल श्रोतो और सूखती मंदाकनी को बचाने के लिए अब तक के प्रयासों के बारे वक्ताओ ने गंभीरता से तथ्यों को रखा . चित्रकूट नगर पंचायत के अध्यक्छ श्री नीलांशु ने कहा क़ी सरकार चित्रकूट विकास के नाम पर मंदाकनी के किनारे किनारे पार्क रास्ते बना रही है तथा नदी क़ी भूमि में समाज के लोग मकान बना रहे है . ऐसे कार्य मंदाकनी को सूखने वाले है . कुलपति जी सहित नन्हे राजा कुवंर भालेंद्र सिंह आलोक दुबेदी ने कहा क़ी आज राजेंद्र सिंह जी मंदाकनी को बचाने के बारे में अपनी राय देंगे .
जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा क़ी मुझे इस बात क़ी ख़ुशी है कि चित्रकूट में नदियों के बारे में लोग चिंतित है इतना ही नहीं भाई अभिमन्यु सिंह ने सूखी नदी सिंघा श्रोत को बरगढ़ के आदिवासियों के सहयोग से पुनरजीवित किया जैसा क़ी अभी कुछ वक्ताओ ने बताया . मै सिंघश्रोत नदी देखने कल जाऊँगा .
भ्रस्टाचार से आज पूरा देश कराह रहा  है . देश में सबसे बड़ा भ्रष्टाचार  तो नदियों के ऊपर है .आने वाली पीडी को हम क्या दे रहे है ? नदी को सुखा कर पुनः उसमे शुद्ध अविरल बहता  जल लाने में कितना धन और समय लगेगा इसके बारे कभी सोचा है ? मैंने देश क़ी कुल १४४ नदियों का अध्यन करने के बाद यह पाया क़ी पूरे भारत में नदिया समाप्त हो गयी है केवल नाले बह रहे है . बनारस में गंगा नाम का नाला है. आगरा में यमुना नाम का नाला है . मुंबई में जाना सदा नीरा बहने वाली मीठी नदी आज मिठाई नाम के नाले रूप में बह रही है . देश में सभी नदियों क़ी हालत यही है लेकिन बुंदेलखंड क़ी नदिया अभी बहुत बची है . नदियों को केवल समाज बचा सकता है . समाज कि रक्छा नदियों से है .
किसानो की आत्म हत्याए विदर्भ और पंजाब में हुई . लेकिन बुंदेलखंड में किसानो की अत्म्हात्याओ का कारन बिलकुल अलग है . बुंदेलखंड में आत्म हत्या   का कारन केवल पानी
की कमी है . हम देखे जन्हा जंगल और पानी समाज को मिल रहा है वंहा आत्महत्याए नहीं है , जैसे चित्रकूट .आत्महत्याए सबसे अधिक बांदा और महोबा में हुई है .इन  दोनों जिलो में जंगल नहीं रह गया है . पहाड़ो को समाप्त कर दिया गया है . कैसे पानी मिलेगा
चित्रकूट में भी पहाड़ो को नस्ट करने जंगलो को समाप्त करने का काम बड़ी तेजी से चालू है जिसका परिणाम है  की मंदाकनी नदी आधी सूख गयी जो शेष है वह भी सूखने कीओर है .
मंदाकनी नदी पूरे बुंदेलखंड का गौरव है लेकिन  मंदाकनी नदी आज मलमूत्र द्ढोने वाली गाड़ी से अधिक नहीं दिखती है.  काफी अध्ययन  के बाद मैंने पाया क़ी १९३२ में विदेशी हुकूमत के समय बनारश के कमिश्नर ने गंगा नदी में राम नाले को डालने का आदेश दिया था .इसके बाद कोई ऐसा आदेश हमें नहीं मिला क़ी सीवर और नालो को नदियों में डाला जाय . लेकिन उस आदेश को समाप्त करने के लिए नदियों में नाले लगाने के कोई सामाजिक प्रयास नहीं हुवे . देश में नदियों के ऊपर जितने भी एस डी पी लगे है वह फेल है .
मंदाकनी को सदा नीरा बनाने का प्रयास बिना समाज के नहीं होगा . मैने प्रधान मत्री जी से मिलकर अनुरोध किया है क़ी देश में नदी निति बनाई जाय उसे लागू किया जाय . नदी क़ी भूमि में होने वाले अतिक्रमण को हटाने के लिए सबसे पहले अपनी मंदाकनी नदी क़ी निति बनाये .उसे सरकार को भेजे . नदी क़ी प्राक्रतिक सीमा का निर्धारण और उसमे किसी भी प्रकार का निर्माण तथा नदी में कोई भी नाला/ सीवर नहीं डाला जायगा .आदि शर्तो के साथ निति को सरकार को भेजे . जैसा क़ी यंहा के नगर अधय्क्छ ने कहा क़ी सरकारी विकास योजनाये सबसे अधिक नदी छेत्र को बरबाद कर रही है . उसे केवल नदी निति रोक सकती है . यंहा के संत समाज को भी संवेदन शील बनाने काम भी समाज को करना होगा . अभिमन्यु सिंह ने सूखी मंदाकनी नदी में अपनी जल ज्ञान यात्रा के जो अनुभब बताये उससे तो यही लगता है क़ि नदी की जल धाराए पहाड़ो से जंगल समाप्त होने  व् तालाबो में पानी सूखने के कारन सूख गयी है . अपनी जल निति में यह भी मांग जोड़ सकते है क़ि मंदाकनी के 10 किलोमीटर दोनों ओर के पहाड़ो से खनन कार्य में प्रतिबन्ध लगते हुवे समाज को जंगल लगाने क़ी जिम्मेदारी दी जाय .
गायत्री पीठ द्वारा नदियों के संरक्छां में विशेष काम करने वाले अभिमन्यु सिंह , नन्हे राजा व् विश्विद्द्य्लय के कुलपति जी को जल पुरुष राजेंद्र सिंह से सम्मानित कराया .
विश्व्विदालय के सभागार में उनका स्वगत किया गया . उन्होंने कुलपति जी के प्रयासों की प्रसंसा की और बच्चो से कहा क़ी पढाई के साथसाथ अपने चारो ओर के वातावरण को समझो उसे बचने में मदद करो . आज सबसे बड़ा काम है मंदाकनी को बचाना .दो दिन बाद गंगा दशहरा है मिलकर कुच्छ सकल्प लेने होगे .
९ जून को सिंघाश्रोत नदी को देखने बिना गाँव वालो को बताये पंहुचे . इस काम को देख कर बहुत प्रशन्न हुवे . उन्होंने प्रयासों क़ी प्रसंसा करते हुवे कहा क़ी अबभी से नदी के किनारे किनारे पोधो को लगाने क़ी योजना समाज को कर लेनी चाहिए.
  चाल्ड फंड भारत की कार्यक्रम निदेशिका सु श्री अंजलि से वार्ता में बताया की पानी कमी से बच्चो का स्वास्थ्य ख़राब है , बरगढ़ में गाँव के लोगो ने सूखी नदी में   पानी खोज कर   बड़ा काम किया है .  बुंदेलखंड से जाने के पहले कहा क़ी पानी के कामो के लिए जब भी यंहा का समाज बुलाएगा मै आऊंगा .
अभिमन्यु सिंह
बुंदेलखंड शांति सेना