मंगलवार, 26 अप्रैल 2011



                      सूखी मंदाकनी पुनर्जीवन बड़ी पूजा है -  
   
 दिनाक २६ अप्रैल २०११ को चित्रकूट के सूरज कुंड में   मंदाकनी जल ज्ञान यात्रा के अनुभवों को  जानने व् समस्याओ का हाल खोजने के लिए सूरज कुंड के  संत समाज ने अपनी भागीदारी
नदी पुनर्जीवन के लिए बढ कर दी  . सूरज कुंड के महाराज श्री राम चरण दास जी ने मंदाकनी पुनर्जीवन को  अपनी पूजा के बराबर माना.
पूर्व सिद्ध संत पूज्य कमलनयन दास जी ने ६० वर्ष पहले रामनाम का २४ घंटे चलने वाला कीर्तन प्रारम्भ कराया था . यह कीर्तन आज भी नियमित चल रहा है.  ७० किलोमीटर तक के भक्त अपने गुरु के आदेश का नियमित बिना नागा के पालन कर रहे है . कीर्तन क़ी  डियूटी नहीं मिस होती . पहली बार मंदाकनी नदी  के सूखने का  दर्द
सभी को  है .अधिकांस गाँव सूखी मंदाकनी नदी के किनारे  है . 
मंदाकनी  पुनर्जीवन के लिए मुख्य रूप से पानी कंहा से मिले और नदी फिर से बहने लगे पर विचार हुवा .  .
बरवारा के सरपंच श्री केसव प्रसाद जी ने कहा कि नदी में सबसे पहले हम लोगो को आगे आना चाहिए .इसके बाद सरकार को जगाने की बात होनी चाहिए. अच्छा होगा कि प्रधानो के साथ आश्रम में  एक बैठक की जाय.परिचर्चा में सभी लोगो ने एक संचालन समिति की बात कही गयी . जो गाँव यंहा है वह अपने गाँव में भी समिति बनाये तथा नदी में सबसे पहले स्वयंम श्रमदान मिल कर चलाये. केसव प्रसाद जी ने कहा कि धर्म राज को संयोजक रामस्वरूप जी को सह संयोजक बनाया जाय बाकि सभी सदस्य होंगे . सभी ने समिति का सरक्छ्क सूरज कुंड के महराज राम सरन दास जी को व् केसव प्रसाद जी को बनाया. समिति का नाम मंदाकनी प्रवाह समिति रखा.
समिति के संयोजक ने कहा हमारा संबसे पहला काम होगा कि सूरज कुंड के नीचे बन रहे चेकडैम से नदी की आत्मा   निकल जायगी उसे रुकवाना . दूसरा काम नदी में श्रम दान तीसरा काम पधानो के साथ बैठक २८  अप्रैल २०११  को करेंगे.
इस बैठक में नए गाँव के राजा श्री नन्हे राजा जी ने कहा कि आज बहुत शुभ दिन है यह आश्रम सिद्ध स्थल है सबसे पहले आश्रम से श्रमदान आज ही प्रारंभ किया जाय  तथा सूरज कुंड को पुरातत्व विभाग में सम्मलित कराया जाय . इस मौके पर पुरवा तारोंहा के वयोवृद्ध श्री  बाबूलाल  त्रिपाठी ने कहा कि मंदाकनी के लिए हम अपना प्राण भी देने को तैयार  है . यदि सरकार हमारी बात नही मानेगी तो मै आमरण अनशन में बैठूँगा, चलिए आज से श्रमदान गुरुस्थान से शुरू करते है .
सभी लोग  मिल कर नदी गये श्रमदान करने  गये.महराज जी ने नियमित श्रमदान का संकल्प लिया. सभी ने कहा कि अब संत समाज ने अगुवाई ली है मंदाकनी के दर्शन जल्दी होगे .
अभिमन्यु 
बुंदेलखंड  शांति सेना  
     

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