भ्रस्टाचार जल पहाड़ो ,जंगलो को लील रहा है ?
सूखी नदी मंदाकनी को जीवित करने की संभवनाओ को तलाशते हुवे जल ज्ञान यात्री मंदाकनी नदी परआश्रित बरवारा ग्राम के लोगो से दिनाक ७ मई 2011 को धर्मराज और केशव प्रसाद सरपंच जी के सहयोग से मिले . यह गाँव मंदाकनी नदी के पानी से वैभव शाली बना है . गाँव के करीब २८ लोगो ने जल ज्ञान यात्रियों से सीधे संवाद किया . सभी लोगो ने जल ज्ञान यात्रियों के उद्देश्यों में नदी को पुनर्जीवित करने को महान बताया .
जल ज्ञान यात्री श्री हेमराज चौबे जी ने कहा कि नदी पहाड़ जंगल को सब लोग अपनी पुश्तैनी ज्यदाद
मानेगे तभी हम कुछ कर पायेगे. उन्हों ने नदी का सीमांकन और जल की शुद्धता के महत्त्व पर जानकारी
जानकारिया बाटी .
अवनीश चन्द्र मिश्र सब रजिस्ट्रार विकलांग विश्व विद्यालय ने कहा की नदी की रक्छा के लिए सबसे पहले गाँव सगठित हो कर स्वंयं प्रयास करे . भारत के अलवर जिले में देश की सूखी नदी को गाँव के लोगो ने मिलकर पुनर्जीवित किया . आप भी प्रयास करे तो मंदाकनी का जीवन पुनः लौट सकता है.
बरगढ़ के आदिवासियों ने अपनी मृत नदी सिंघश्रोत को पुनर्जीवित किया है यह उदहारण तो आपके जिले का है .
अभिमन्यु भाई ने कहा की पानी को तभी सुरक्छित किया जा सकता है जब उपभोग करने वाला समाज पानी के बारे में एक राय के अनुसार अच्छे अभ्यांसो को पहचाने उसे अपनी आदतों में लाये गाँव सभा के अन्दर वह ताकत है की वह जल जंगल ज़मीन को नस्ट करने वाली किसी भी परियाजना को रोक सकती है . पहले श्रमदान सामूहिक रूप से प्रारम्भ कर अपने को संघठित करे . गाँव के लोगो ने अपनी जानकारियों को बताते हुवे युवा ग्राम वासी अरुण ने कहा कि सरकार लोढ्वारा के पहाड़ का खनन करा रही है दूसरी तरफ उसी पहाड़ में वाटर शेड कार्यक्रम भी चला रही है .
सरकारे ऊपर की ओर नदी बांध रही है जैसे रावतपुरा सरकार कर रहे है. तब बताइए सरकार से कैसे लडा जाय .
इसी तरह केशव प्रसद जी ने कहा कि सूर्य कुंड के पहाड़ जो नदी के बिलकुल ऊपर है उसको भी ख़त्म किया जा रहा है . पहले यंहा सब घनघोर जंगल था . मंदाकनी नदी में इन्ही जंगलो के पेड़ो में जमा जल मंदाकनी के जल स्रोत थे . जब जंगल नहीं रह गए तो नदी तो सूखेगी .पूर्व लेखपाल रामकृपाल जी बताया कि भ्रस्टाचार जल पहाड़ो ,जंगलो को लील रहा है . उन्होंने खुलाशा करते हुवे बताया कि२०००रुपये एक रवन्ना का है जिसमे १००० रूपए गुप्त है जो वर्त्तमान सरकार की पार्टी के नाम सीधे जाता है .बताइए कैसे हम लोग प्रभावी होगे . नदी में कंही चेक डैम बनते है लेकिन सूर्य कुण्ड में नदी में चेक डैम बनाया जा रहा है ? क्यों ? अमित कुमार ने बताया कि हमारे गाँव के लोगो को यह आभास पहले हो गया था कि मंदाकनी नदी सूख जायगी .क्यों कि गाँव के कुछ लोगो ने गन्ना पैदा करना शुरू कर दिया था . जमीन का पानी लगातार नीचे जा रहा है . अधिक पानी खेती में लेने से मंदाकनी भी सूख ने लगी .सुभाष पटेल ने बताया कि यंहा स्वजल परियोजना में जो सामूहिक भागीदारी की थी उसे राजनातिक लोगो कमजोर कर दिया था .जिसके कारन वह भी बरबाद हो गयी . सामुदायिक परिसम्पत्तियो को ग्राम प्रधान अकेले देख रेख करने में असमर्थ है .ब्लाक के बी डी ओ सेक्रेटरी अं सब मुद्दों पर कोई बात ही नहीं करते.
अभिमन्यु भाई ने कहा कि समस्या भी आपकी है समाधान भी आप है . अनुभव बताते है कि पहले आप पहले श्रमदान सामूहिक रूप से प्रारम्भ कर अपने को संघठित करे .यही संघठन सरकार से बात करेगा. सरकार भी सुने गी . अपने को बदलना होगा . जिस नदी में आपने डुबकियअ लगायी आनन्द लिया उसे तो हम सब लोगो ने सुखाया है . हम अपने बच्चो को क्या दे कर जा रहे वही सूखा भुखमरी कुपोषण .
सूखी नदी मंदाकनी को जीवित करने की संभवनाओ को तलाशते हुवे जल ज्ञान यात्री मंदाकनी नदी परआश्रित बरवारा ग्राम के लोगो से दिनाक ७ मई 2011 को धर्मराज और केशव प्रसाद सरपंच जी के सहयोग से मिले . यह गाँव मंदाकनी नदी के पानी से वैभव शाली बना है . गाँव के करीब २८ लोगो ने जल ज्ञान यात्रियों से सीधे संवाद किया . सभी लोगो ने जल ज्ञान यात्रियों के उद्देश्यों में नदी को पुनर्जीवित करने को महान बताया .
जल ज्ञान यात्री श्री हेमराज चौबे जी ने कहा कि नदी पहाड़ जंगल को सब लोग अपनी पुश्तैनी ज्यदाद
मानेगे तभी हम कुछ कर पायेगे. उन्हों ने नदी का सीमांकन और जल की शुद्धता के महत्त्व पर जानकारी
जानकारिया बाटी .
अवनीश चन्द्र मिश्र सब रजिस्ट्रार विकलांग विश्व विद्यालय ने कहा की नदी की रक्छा के लिए सबसे पहले गाँव सगठित हो कर स्वंयं प्रयास करे . भारत के अलवर जिले में देश की सूखी नदी को गाँव के लोगो ने मिलकर पुनर्जीवित किया . आप भी प्रयास करे तो मंदाकनी का जीवन पुनः लौट सकता है.
बरगढ़ के आदिवासियों ने अपनी मृत नदी सिंघश्रोत को पुनर्जीवित किया है यह उदहारण तो आपके जिले का है .
अभिमन्यु भाई ने कहा की पानी को तभी सुरक्छित किया जा सकता है जब उपभोग करने वाला समाज पानी के बारे में एक राय के अनुसार अच्छे अभ्यांसो को पहचाने उसे अपनी आदतों में लाये गाँव सभा के अन्दर वह ताकत है की वह जल जंगल ज़मीन को नस्ट करने वाली किसी भी परियाजना को रोक सकती है . पहले श्रमदान सामूहिक रूप से प्रारम्भ कर अपने को संघठित करे . गाँव के लोगो ने अपनी जानकारियों को बताते हुवे युवा ग्राम वासी अरुण ने कहा कि सरकार लोढ्वारा के पहाड़ का खनन करा रही है दूसरी तरफ उसी पहाड़ में वाटर शेड कार्यक्रम भी चला रही है .
सरकारे ऊपर की ओर नदी बांध रही है जैसे रावतपुरा सरकार कर रहे है. तब बताइए सरकार से कैसे लडा जाय .
इसी तरह केशव प्रसद जी ने कहा कि सूर्य कुंड के पहाड़ जो नदी के बिलकुल ऊपर है उसको भी ख़त्म किया जा रहा है . पहले यंहा सब घनघोर जंगल था . मंदाकनी नदी में इन्ही जंगलो के पेड़ो में जमा जल मंदाकनी के जल स्रोत थे . जब जंगल नहीं रह गए तो नदी तो सूखेगी .पूर्व लेखपाल रामकृपाल जी बताया कि भ्रस्टाचार जल पहाड़ो ,जंगलो को लील रहा है . उन्होंने खुलाशा करते हुवे बताया कि२०००रुपये एक रवन्ना का है जिसमे १००० रूपए गुप्त है जो वर्त्तमान सरकार की पार्टी के नाम सीधे जाता है .बताइए कैसे हम लोग प्रभावी होगे . नदी में कंही चेक डैम बनते है लेकिन सूर्य कुण्ड में नदी में चेक डैम बनाया जा रहा है ? क्यों ? अमित कुमार ने बताया कि हमारे गाँव के लोगो को यह आभास पहले हो गया था कि मंदाकनी नदी सूख जायगी .क्यों कि गाँव के कुछ लोगो ने गन्ना पैदा करना शुरू कर दिया था . जमीन का पानी लगातार नीचे जा रहा है . अधिक पानी खेती में लेने से मंदाकनी भी सूख ने लगी .सुभाष पटेल ने बताया कि यंहा स्वजल परियोजना में जो सामूहिक भागीदारी की थी उसे राजनातिक लोगो कमजोर कर दिया था .जिसके कारन वह भी बरबाद हो गयी . सामुदायिक परिसम्पत्तियो को ग्राम प्रधान अकेले देख रेख करने में असमर्थ है .ब्लाक के बी डी ओ सेक्रेटरी अं सब मुद्दों पर कोई बात ही नहीं करते.
अभिमन्यु भाई ने कहा कि समस्या भी आपकी है समाधान भी आप है . अनुभव बताते है कि पहले आप पहले श्रमदान सामूहिक रूप से प्रारम्भ कर अपने को संघठित करे .यही संघठन सरकार से बात करेगा. सरकार भी सुने गी . अपने को बदलना होगा . जिस नदी में आपने डुबकियअ लगायी आनन्द लिया उसे तो हम सब लोगो ने सुखाया है . हम अपने बच्चो को क्या दे कर जा रहे वही सूखा भुखमरी कुपोषण .
धर्म राज जी ने कहा कि मैंने स्वयं मंदाकनी नदी में जा कर दो दिन से श्रमदान कर रहा हू . और आज सबेरे देखा कि गड्डा पानी से भरा था . सभी ने धर्म राज जी कि प्रसंसा की .
अंत में सभी ने निरनय लिया कि मंदाकनी कि रछा के लिए अभी गाँव के और लोग जो आज नहीं है उनके साथ भी चर्चा कर निराने लेना उचित होगा के बाद बैठक समाप्त हुई .
दिनांक ८ मई 2011 को गाँव के ५० लोग स्वयम एकत्र हुवे और अपने बीच मंदाकनी सेवा मंच बनाया . इस मंच में १५ लोग अपनी सहमती से आये . उन्होंने दरबारी लाल को संरक्छाक तथा
धरम राज को संयोजक तय किया और जलयात्रियों से अनुरोध किया कि आज है श्रम दान अपनी माँ को जीवित करने के लिए प्रारंभ किया जाय .गायत्री पीठ के श्रे राम नारायण त्रिपाठी ने कहा कि आज मदर डे है . अच्छा अवसर है .
आज से बरवारा गाँव में सूखी मंदाकनी नदी को पुनर्जीवित करने के कार्य समाज की अगुवाई में प्रारम्भ हो गये . अब सरकार को नदी में मनरेगा लगा कर जल श्रोतो को खोजने नदी की जमा शिल्ट निकलने तथा नदी के किनारे के पहाड़ो को बचाने उन पर समाज के द्वारा व्र्क्छा रोपण के कार्यो पर आगे निरनय लेने जिम्मेदारी बनती है .जिस पहाड़ में वाटर सेड चल रहा है उस पर खनन कार्य किस आधार पर दिया गया यह भी चिंता का विषय है .
अभिमन्यु सिंह
बुंदेलखंड शांति सेना
चित्रकूट
दिनांक ८ मई 2011 को गाँव के ५० लोग स्वयम एकत्र हुवे और अपने बीच मंदाकनी सेवा मंच बनाया . इस मंच में १५ लोग अपनी सहमती से आये . उन्होंने दरबारी लाल को संरक्छाक तथा
धरम राज को संयोजक तय किया और जलयात्रियों से अनुरोध किया कि आज है श्रम दान अपनी माँ को जीवित करने के लिए प्रारंभ किया जाय .गायत्री पीठ के श्रे राम नारायण त्रिपाठी ने कहा कि आज मदर डे है . अच्छा अवसर है .
आज से बरवारा गाँव में सूखी मंदाकनी नदी को पुनर्जीवित करने के कार्य समाज की अगुवाई में प्रारम्भ हो गये . अब सरकार को नदी में मनरेगा लगा कर जल श्रोतो को खोजने नदी की जमा शिल्ट निकलने तथा नदी के किनारे के पहाड़ो को बचाने उन पर समाज के द्वारा व्र्क्छा रोपण के कार्यो पर आगे निरनय लेने जिम्मेदारी बनती है .जिस पहाड़ में वाटर सेड चल रहा है उस पर खनन कार्य किस आधार पर दिया गया यह भी चिंता का विषय है .
अभिमन्यु सिंह
बुंदेलखंड शांति सेना
चित्रकूट
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