मंगलवार, 21 मई 2019

शेर को मारने वाले नदी हत्यारे !





पानी तीन बना सकते है
सिंह शायर और सपूत --

आज यह सब आत्म हत्या कर रहे है
या सरकारी संरक्षण मे इनके विचारो
और शरीर की हत्या हो रही है !

चित्रकूट के समाज पर नदी हत्या
तालाब कुंवा  हत्या और शेर हत्या
का आरोप है ???
इधर 2019 मे इस समाज ने तीन
जवान बाघो को -करेट से मारा
या कुल्हाड़ी से!
साहब इस समाज ने शेर नही मारा
इन लोगों ने पानी मारा है ???

जिस जंगल मे शेर कायर हो जाय
वहां का समाज तो पानी से मरेगा ???
वृक्ष रोपण भी पैसा बनाने की बडी योजना
है कितनी सरकारें आयी सबने गिनीज
बुक मे नाम लिखा या अरबों रुपये पार्टी
फण्ड मे गये -पर पेड कितने बचे उस पर कोई
रिपोर्ट  किसी सरकार ने सार्वजनिक नही की!
किसी ने यह नही कहा कि जो जंगल आज है
उसे कैसे बचाए ???


2014 से आज तक सरकारी आकडे बताते है कि
2 लाख हेक्टेयर जंगल मैदान हो गये और
सरकारी विकास उसको लील गया??
चित्रकूट के भरतकूप और महोबा के कबरई के अमूल्य पहाडो
को सडके लील गयी और यहां के मजदूर भूख
से रोज लडते है टीबी से लडकर मर जाते है
फिर 10 साल का लड़का लडकी चल देते है
अपने पिता की विरासत बचाने नही बल्कि
अपनी माँ और भाई बहन की
भूख मिटने के सवालो को हल करने !

जो जंगल बचाने की बात करेगा
वह राजनैतिक दलो
का बडा दुश्मन है ??
इसीलिए सिविल सोसाइटी को सरकार
भ्रष्ट कहती है क्योंकि सरकार मे बैठे राजनैतिक
दल बडे ईमानदार है ?
मेरे मानना है की जिन सामाजिक संगठन को
सरकार ने भ्रष्ट बताया है सच यह है कि
सरकारी यंत्रो ने उन्हे भ्रष्ट बनाया माहौल दिया
पर -इतना जरूर है कि वह राजनैतिक दलो से
अधिक ईमानदार है --
अपनी प्रकृति को बचाने मे बडा काम किया !
यदि सरकारें ईमानदार थी और है तो
भारत के नदी वैज्ञानिक प्रोफेसर जी डी अग्रवाल
के उपवास पर बात करती प्रधानमंत्री बात करते
और उनके जीवन को बचा ले जाते!
उनकी मृत्य तो सरकारी संरक्षण मे हुई
उन्होंने 112 दिन भूख सहकर देखा कि सरकार नही
मान रही अब गंगं दशहरा 2018 को
जल भी त्याग दिया ???इसके बाद भी
सरकार मे बैठे लोग नदी पुनर्जीवन की
बात करते है ?क्या यह ढोंग नही है !!!

पानी बनाने की मशीन को
सरकार मे बैठे राजनैतिक दलो के लोगे ने
उनके संरक्षण दाताओं ने और
समाज के बडे लोगो ने पहले बिगाडा !
और
समाज के लालची लोगो ने उसे बेचा
और
अब समाज की बेरोजगारी
और भूख मिल कर मशीन को मिटा रही है!

अकेले वन विभाग को दोष देना तो
सबसे बडी बेवकूफी है --
जिसको वोट देते है -वह तुम्हारे पानी
बनाने की मशीन को नीलाम करता है?

आम लोग पेट भरने के लिए जंगल काटते है
पहाड तोडते है और उसे खत्म करते है
तो क्यो ??
क्योकि उनकी मज़बूरी है पेट !!
और बडे लोग तो चुनाव फण्ड
तथा पीढ़ियों के लिए विदेशों मे बैक बैलेश बढाने
के लिए --

यह सत्य है कि बडे लोग अब बडी मशीन ले
आए है पहाड तोडने और भरने की
इसलिए अब आदमी कम लगते है
मशीन बडा -बडा काम करती है।
अब संकट रोजगार का है !

जबसे मशीन खराब हुई -
तबसे बादलों ने आना बन्द किया !
शेरों की हत्या का रोजगार
शुरू हुवा --

जे सी बी पोकलैण्ड ने  पहले गाव की जमीन
खायी और अब पहाड की चोटी मे
कम्पनी ने पोकलैण्ड पहुंचा कर
नेताओं की इजीनियर और दलालों की जेब
गरम की!
आज पोकलैण्ड --
पहाड को अंगूठा दिखा कर
कहती है कि तू किस खेत की मूली है
बडा अहंकार था कि मेरे ऊपर कोई
नही चढ़ सकता मुझे कोई तोड नही सकता
आदमी थोडा थोडा तोड पाता था तब तू उसे चिढ़ाता था
देख मै तुझे कैसे तोडती हूँ-
साल भर -ऐसा मशीन चली कि जो पहाड
100 साल मे आदमी नही तोड पाया
मशीन ने भरत राम के पहाड को
चित्रकूट मे 1साल के अन्दर आधा कर दिया
और रौंद दिया पानी बनाने की मशीन को !

कुल्हाड़ी ने काट दिया चित्रकूट के उन जंगलों को
जिसमे कभी राम आए थे !
अब तो वन निगम के पास मशीन की कुल्हाड़ी है जो
कभी वन विभाग के लोग चुरा लेते है और हरे पेड़
कटवा देते है ---खराब हो गयी पानी बनाने की
मशीन ---शेर भी आत्म हत्या करने लगे --कितने

पशु प्यासे मरने लगे --
तब धीरे धीरे
गाँव का भी पानी मरने लगा ---
पानी का अकाल व्यवस्था और मानवता पर
अट्टहास करते हुवे पहले गाँव पहुंचा
फिर
घर घर पहुँचने लगा !
बूंद बूंद पानी के लिए जीवन सिसकने लगा
पानी का हाहाकार मचा !

तब नेता और समाज के प्रहरी
सरकार से पानी के मांग की आवाज
बडी करने लगे --
यह आवाजें बडी चिरकुट है --
अवसरवादी है ---
कभी थोडे बादल आएंगे पानी बरसादेगे
और पानी जैसे मिलने लगेगा
फिर पानी की मांग की आवाज
सुनाई नही देगी --केवल शेर मरेगा
जंगल कटेगा --

सोचिए
क्या सरकार पानी बना सकती है?।
सरकार पानी जमीन से निकल सकती है ?
सरकार केवल जंगल साफ करा सकती है
सडके बना सकती है
स्मार्ट सिटी कंक्रीट के जंगलों से खडा कर सकती है
और ईवीएम पर बहस बढा सकती है
गावों के गाँव शहर लील ले ऐसा प्लान बना सकती है

किसी नदी तालाब मे शहर का शीवर लगा सकती है
नदी को मार सकती है -तालाबों मे घर बनवा सकती है
कुवो को सुखा सकती है ?
समरसेबुल से पानी खीच कर पाइपलाइन मे भेज
सकती है ?????
पानी ढो सकती है
पर सरकार पानी नही
बना  सकती ?? पानी बनाने का काम
तीन करते है
सिंह शायर और सपूत
यानि --समाज का पुरुषार्थ न कि
नेता अधिकारी और समाज के बिकाऊ
इजीनियर!
समाधान किसके पास ???
अभिमन्यु विद्यार्थी

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