गुरुवार, 6 जुलाई 2017

संत व भू माफिया मिलकर ऋषि मुनियो की समाधियों को तोड़ने में हुए आमादा ....

संत समाज को लज्जित करने वाला एक बेहद ही  शर्मनाक मामला धर्म नगरी मे सामने आया है ।जहां एक विश्व प्रसिद्ध आश्रम के महंत द्वारा ट्रस्ट की जमीन को बेचने के लिए अपने गुरू जनो व पूर्वज संतो की समाधियों को ही बेचने में अमादा हो गया है और भूमाफिया  को संतों की समाधियों को तोड़ने का गुप्त ठेका दे दिया है आपको बता दें कि यह पूरा मामला चित्रकूट के पीली कोठी आश्रम के महंत दिव्यानंद द्वारा सतना चित्रकूट मार्ग में स्फटिक शिला के पास बेशकीमती जमीन को बेचने के लिए यह घिनौना खेल खेला गया है जिसमें भूमाफिया राजकिशोर शिवहरे ने महंत दिव्यानंद से ट्रस्ट की जमीन को खरीदने के लिए उस जमीन को कब्जे में लेकर उसको पूरी तरह से लेबल करवा दिया है हरे भरे पेड़ों को काटने का भी काम शुरू कर दिया है यह जमीन पीली कोठी आश्रम के लगभग 500 वर्ष से भी अधिक पुरानी है ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि यहां पर पीली कोठी आश्रम से जुड़े हुए महंतो की ग्यारह समाधियां बनी हुई है और यह जमीन संस्था की है इसलिए इस जमीन को भू माफिया द्वारा कब्जे में लेकर के इन समाधियों में से एक समाज को खंडित भी कर दिया गया है आपको बता दें कि चित्रकूट के आराजी संख्या 163/2 हल्का राजौला जो की पिली कोठी आश्रम ट्रस्ट के नाम उसे  संत दिव्यानंद अपने निजी हित व ऐशो आराम  के लिए इसको बेचने में तुला हुआ है और इस 22 बीघे बेशकीमती जमीन का 40 करोड़ रुपए में सौदा भी कर लिया है जिसको राजकिशोर शिवहरे जो कि पहले भी मध्यप्रदेश क्षेत्र की धर्म नगरी में कई जमीनों पर अवैध कब्जे को लेकर के सुर्खियों में रहा है और एक बार फिर इस संत की मिलीभगत से धर्मनगरी की शाख को कलंकित करने में आमादा  हो गया है गौरतलब है कि पीलीकोठी आश्रम की कई संस्थाएं हैं जिनमें मथुरा ,हरिद्वार जैसे कई तीर्थ स्थलों में भी अपनी आश्रम होने के कारण दिव्यानंद द्वारा चित्रकूट के आश्रमों की जमीन को एक-एक करके बेचने का काम शुरू कर दिया है और संस्था की जमीनों को बेच कर अपना स्वार्थ सिद्ध कर अपने नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने का काम भी करने लगा है वही स्थानीय राजस्व अमला बाबा के रसूख के आगे घुटने टेके हुए है वही सरकार के एक रसूक दार मंत्री का नाम भी सुर्ख़ियो में है जिसके कारण बेख़ौफ़ कार्य किया जा रहा है  ।।


अतुल मिश्रा(पंकज)
   चित्रकूट

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