यमुना को बुंदेलखंड की नदिया जीवन देती है -
उत्तर प्रदेश की सरकार को साधुवाद कि उसने जलश्रोतों के बारे में अपनी बात स्पष्टता से रखी। यमुना में सबसेअधिक जल बुंदेलखंड अपनी नदियो देता है किन्तु सरकारी निरणयो के कारण नदिया परेशान है। बुंदेलखंड की समृद्ध अविरल निर्मल बहाने वाली नदिया जैसे चम्बल ,बेतवा , धसान ,केन ,बेतवा के साथ इनकी सहायक नदिया और नियमित बहाने वाले जल श्रोत - यमुना की तरह मृत होते जा रहे है। जिसका कारण पहाड़ो का टूटना समाप्त होना और जंगलो का नष्ट होना है। तालाबो और जल श्रोतो की भूमि को सरकारी निर्णयो और स्थानीय समाज ने अपने निजी कामो निर्माणो में लगा लिया। परिणाम है कि बुंदेलखंड के अधिकांस जलश्रोत और नदिया समाप्त होगयी अथवा सूख गए और जो शेष है उनमे पानी कम होगया है। चित्रकूट की मंदाकनी २०११ में कर्वी के बाद से सूख गयी थी। सबसे अमानवीय बात है कि सूखे जलश्रोतों और बालू निकलने वाले पहाड़ तोड़ने वाले सैकड़ो गाँवो के हजारो परिवारो में अशिक्षा कुपोषण तथा टी बी जैसी बीमारिया बच्चो युवाओ को घेरे है। १० वर्ष का बच्चा नशे का शिकार है।
यदि बुंदेलखंड के जल श्रोतो/ नदियो को पुनर्जीवित करने काम सरकार समाज को प्रोत्साहित कर करेगी तब यमुना को जबर्दस्त पानी बुंदेलखंड देगा और गंगा में इतना पानी होगा कि --हावड़ा से इलाहबाद तक पानी के जहाज आयेगे और मॉल का ढोना सस्ता होगा और नदी जलश्रोतों के किनारे रहने वाले निरोग आन्दित और बच्चे स्कूलो में दिखेगे ????
अभिमन्यु भाई
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