DRY RIVER FORUM BUNDELKHAND
मंगलवार, 15 अक्तूबर 2024
शंकराचार्य और नाना जी के विचार में बकरी
शुक्रवार, 30 अगस्त 2024
चित्रकूट जल धरोहर बचाओ जल संवाद
चित्रकूट जल प्रहरियों द्वारा आयोजित
#जलसंवाद की रिपोर्ट-
चित्रकूट धाम कर्वी नगर पालिका के वार्ड नंबर 6 में ऐतिहासिक विरासत #जलमहल गोल तालाब-के पक्के भीटे में 30 अगस्त 2024 को समुदाय द्वारा आयोजित जल संवाद की शुरुआत श्रीमती आशा देवी की अध्यक्षता में #बालआवाज से शुरू की गई।
पेशवाओं द्वारा विशेष स्थापत्य कला से नर्मित #गोल तालाब जो पूरे #बुंदेलखंड में अपना विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह तालाब भूगर्भ जल स्रोतों से जुड़ा हुआ है। इस तालाब में अमृत जल था। आजादी के 78 साल तालाब के किनारे रहने वाले परिवार में पैदा हुई 10साल साल की दलित बेटी ने तालाब में खड़े होकर अपने जीवन जीने के दर्द को जब व्यक्त किया आंख से आंसू आ गए। उसका कहना था कि हमारे तालाब में अब #अमृत नहींहै #विष जिस समाजने दिया है।
बेटी ने कहा कहा कि हमारे चारों तरफ बदबू ही #बदबू है ।इतना ही नहीं हमें पीने का पानी अच्छा नहीं लगता, मजबूरी में पीते हैं। बच्चों को सबसे बड़ा दुख उसके तालाब के अंदर नगर पालिका की नालियों सीवर और घरों के शौचालय का सीधा लगना है। उसने बताया कि बरसात होने पर #कसहाई रोड में बसे कॉलोनी घरों का पूरा पानी इस तालाब में जब आ जाता है तब हमारे घरों में पानी घुस जाता है और हम रात भर पानी को उलीचते हैं। #स्कूल जाने के रास्तो में जबरदस्त पानी भरा है।
कक्षा 11 में पढ़ने वाली किशोरी #प्रियंकावर्मा ने कहा कि हमारे हमारे पूर्वज बताते हैं गोल तालाब का पानी अमृत था।दूर-दूर से लोग इस तालाब को देखने इसकी सुंदरता को निहारने और इसमें तैरने आते थे । इलाके के जितने पशु थे सब इसमें पानी पीते थे।आज हमारे तालाब में सरकार और समाज द्वारा विष भर दिया गया है। जिसका असर हमारे स्वास्थ्य में है।
हम लोग शुद्ध #पीने के पानी को तरस रहे हैं। एक सरकारी हैंड पंप करीब 50 परिवारों के बीच लगा है गर्मी में वह पानी नहीं दे रहा था थोड़ा-थोड़ा पानी आता था वह भी मट मैला था उसमें भी बदबू थी। एक दो परिवारों ने हैंड पंप लगवाए हैं लेकिन उन हैंडपंपों का पानी बदबू मारता है क्योंकि उसके जल स्रोत तालाब से जुड़े है। हमारे घरों में आए दिन #डेंगू #टाइफाइड मलेरिया तथा #पेट के रोग बने रहते है इलाज में हम लोग #कर्जदार हो जाते हैं।हमारे दर्द को कोई सुनने वाला नहीं है। बेटियों के द्वारा बताई गई समस्याओं पर वहां की माता ने भी अपना दर्द रखा।
श्रीमती माया देवी, प्रेमा पार्वती रीना देवी नथिया देवी सुनीता सकुना बानों ने अपने जीवन की गाथा दर्दनाक तरीके से बताई। स्थानीय निवासी श्री रामचंद्र वर्मा देवी दयाल देवनाथ आदि ने परिवारों के दर्द को बताया। श्री रामचंद्र वर्मा ने कहा कि साहब हम लोग #दलित है इसलिए हमारी कोई पूंछ नहीं है। हम लोग गंदा पानी शहर का सीवर सूंघते रहे यही सभी बड़े लोग चाहते हैं।
#जलसंवाद की अध्यक्षता कर रही श्रीमती आशा वर्मा ने कहा कि जब पानी बहुत भरने लगा तब हमने मीडिया वालों को बुलाया लेकिन किसी ने हमारी बात नहीं सुनी। जब चुनाव आते हैं तो यहां नेता बड़ी-बड़ी बात करते हैं वोट मांगते हैं। वोट लेने के बाद कोई हमारे दर्द को सुनने वाला नहीं है। #बिजली के तार जिस तरीके से तालाब के चारों ओर बिछे हैं कभी भी कोई हादसा हो सकता है क्योंकि नीचे पानी है ऊपर तार है वह भी खुले हैं। रास्ते हैं नहीं। रास्तों को लेकर पानी के निकास को लेकर परिवारों में झगड़े होते हैं।
हमारा तालाब जब इसमें शहर के नाले घरों के नाले शौचालय नहीं लगे थे तब हम लोग तालाब के पानी का इस्तेमाल करते थे और एक कुआं था वहां से पीने का पानी लाते थे। जब से नगर पालिका ने और यहां के प्रशासन ने तालाब के किनारे बस्तियां बनवा दी पानी का निकास तालाब में कर दिया तब से हमारी जिंदगी पूरी तरह नरक बन गई है। हम कैसे कहें कि यहां #संविधान हमें जीवन जीने का अवसर दे रहा है। हम लोग पीछे #पटेल नगर #मंडी समिति से आने वाले सीवर नालो की गंदगी के बीच जीवन जी रहे हैं। हमारे बीच पूर्व #सांसद भी रहते हैं #सभासद भी रहते हैं !कोई आज तक हमारे दर्द के समाधान में कुछ नहीं कर सका।हम #नेताओं से परेशान हो चुके हैं #मीडिया भी हमारी ओर नहीं देखता।
कक्षा 11 की विद्यार्थी प्रियंका वर्मा ने अपने सभी पीड़ित परिवारों की ओर से जिलाधिकारी महोदय के नाम एक #प्रार्थना पत्र भी लिखा।
पूरे समाज की ओर से समाधान के लिए चार मांगे जिलाधिकारी से कीगई।
1- गोल तालाब मे आने वाले नगर पालिका के और घरों के नालियों नालो एवं शौचालय के पानी को रोका जाए। इस अतिक्रमण मुक्त बनाया जाए।
2-तालाब की नीचे से सफाई की जाए इसकी मरम्मत कराई जाए तथा इसके बंद स्त्रोत खोले जाएं।
3- घरों में पीने का पानी शुद्ध मिल सके इसके लिए विशेष व्यवस्था की जाए।
4-, गलियां कच्ची है नाली और सड़क बनाई जाए बिजली के खंभे लगाए जाएं ताकि बच्चों का जीवन खतरे में ना हो।
गोल तालाब #जलसंवाद में चित्रकूट जल प्रहरी सामाजिक चिंतक मनोज द्विवेदी शंकर मणि वर्मा अभिमन्यु भाई प्रेमनाथ यादव डॉ राम भजन सिंह एवं चित्रकूट धाम नगर पालिका के दूसरे वार्ड के सभासद जल प्रहरी शैलेंद्र सोनी भी थे।
अभिमन्यु भाई
जल प्रहरी चित्रकूट
गुरुवार, 2 नवंबर 2023
Killing Mandakini river
WATER
Encroachment, concretisation, pollution killing Mandakini river near Chitrakoot
Political leaders abetting the Mandakini’s death by building hotels along its banks in Chitrakoot
By Anil Tiwari
Published: Monday 01 November 2021
Encroachment, concretisation and pollution are killing the Mandakini, a tributary of the Yamuna that flows near Chitrakoot town in Uttar Pradesh.
The political leadership in both Madhya Pradesh and Uttar Pradesh are abetting the death of the river rather than prevent it by building hotels and lodges on its banks.
The Mandakini starts in Madhya Pradesh’s Satna district, some 24 kilometres from Chitrakoot, associated with the story of Hindu deity, Ram.
It flows into the Yamuna in Uttar Pradesh’s Karwi tehsil in Chitrakoot district. The river flows through Sati Anusuiya, a perennial trough where many small and big springs feed into it.
The river is the lifeline of Chitrakoot and the surrounding area, with almost 70 per cent of Chitrakoot residents relying on the river for drinking and household purposes.
Chitrakoot is famous for its association with the Hindu epic, the Ramyana. Hundreds of people visit the town on full moon, new moon and Diwali nights and bathe in the river.
But Chitrakoot’s religious importance has, in a way, sounded the death knell of the Mandakini.
Encroachment, concretisation
Many hotels and temples have been built near the river’s catchment, which is obstructing its recharge.
Illegal hotels being built in Chitrakoot. Photo: Anil Tiwari
Nityanand Mishra, a lawyer and environmental activist, had petitioned the National Green Tribunal (NGT) in 2014 to stop the illegal encroachment. The NGT had banned all kinds of construction within 100 metres of the river after this.
However, many hotels were then built near Bharat Ghat, which is near the spot where a host of underground springs recharge the river. Some of these structures are only 30 metres from the river’s bank.
In August this year, the NGT ordered the Satna administration to demarcate the area between the Mandakini and Paisuni rivers where hotels were being constructed illegally. However, no action has been taken so far.
Mishra said:
Even after the NGT order, the Chitrakoot administration has failed to stop these illegal constructions which are killing the Mandakini river.
He added: “Earlier, there were 30-40 illegal constructions near the Bharat Ghat and its vicinity. After the NGT order came into force, this number reduced to 10-15. But at present, there are 40-50 illegal constructions near the banks of the river.”
A government official said on the condition of anonymity:
The local government is unable to prevent illegal construction because of political pressure from government leaders. Many illegal hotels and other construction are owned by political leaders.
Ram Vishnu Das, the founder of the Kamadgiri Temple Trust, said the concretisation of the river’s embankment in Uttar Pradesh had obstructed its natural recharge points.
The water level is declining because of this. “The Mandakini river had 100 small springs near Ansuiya 40 years ago. Now, they are blocked,” he said.
Abhimanyu Singh, a river activist based in Chitrakoot, said a temple near the Anusuiya Ashram on the Mandakini river had been renovated recently. “Lots of concrete was poured along the bank of the river to enhance the beauty of the temple. These actions by the authorities are killing the river,” he said.
Singh added that the government needed to remove all concrete constructions from the charging points of the river to maintain its level. Mishra said he would again approach the NGT, demanding contempt against the city administration as the order of the court had not been followed.
Pollution in the Mandakini
The Union Ministry of Jal Shakti (Water Resources) published a list of the 22 most polluted rivers in Madhya Pradesh in February 2020. The Mandakini has been identified as one of Madhya Pradesh’s most contaminated rivers.
The action plan report by the Madhya Pradesh Pollution Control Board released in 2019 said:
The number of drains carrying the wastewater of the town joining the river at various points is increasing the pollution load of the river and altering the water quality.
The current estimated sewage generation in the catchment of the river is about 5 million litres per day (MLD) based on population trends. It is expected that sewage generation will reach 5.5 MLD by 2030.
A sewage treatment plant has been built near Bharat Ghat, but it is not yet functional.
Nityanand Mishra said:
The construction of a water treatment plant began many years ago. Due to a lack of enthusiasm by the local administration, the project has not yet begun despite the government spending crores on it. All the polluted household water is dumped in the Mandakini. The river is becoming more and more polluted every day.
Sadhana Chaurasia, who teaches at the Chitrakoot University, has conducted research on the Mandakini’s pollution. She found the water of the Mandakini to be extremely contaminated at all the study stations and unfit for use in irrigation, consumption and domestic purposes.
Abhimanyu Singh said many tourists threw food waste, polythene bags and other garbage directly into the river, which was the main cause of river pollution.
WATER
CoP 26: ‘Every third child is severely exposed to water scarcity’
UN bodies red code the impact of climate change on water resources crippling overall development
By DTE Staff
Published: Friday 29 October 2021
Various United Nations bodies October 29, 2021 made an urgent appeal to countries to make water an integral part of the fight against climate change. The Conference of Parties (CoP 26) to the UN Framework Convention on Climate Change (UNFCCC) starts in Glasgow October 31.
A letter addressed to heads of countries by UN agencies like World Meteorological Organization, World Health Organization, Food and Agriculture Organization, IFAD, Unesco, Unicef, United Nations Environmental Programme, UN University, the UN Economic Commission for Europe and the Global Water Partnership (GWP), said:
Accelerated action is urgently needed to address the water-related consequences of climate change that impact people and the planet.
The UN agencies quoted an earlier Unicef report that over one-third of the world’s child population were severely exposed to water scarcity.
It added:
The UN World Water development Report 2020 emphasises that water is the ‘climate connector’ that allows for greater collaboration and coordination across the majority of targets for climate change (Paris Agreement), sustainable development (2030 Agenda and its SDGs) and disaster risk reduction (Sendai Framework).
The UN-mandated Sustainable Development Goal (SDG) 6 aims to “ensure availability and sustainable management of water and sanitation for all.” Climate change impact is going to affect this particular SDG in the water sector, besides others.
The UN agencies appealed to countries to “address more effectively, the water dimensions of climate change adaptation and mitigation, as provided for in an UN-agreed framework to accelerate progress towards Sustainable Development Goal 6.”
They said as a priority countries should “integrate the water and climate agendas at a national level through national adaptation and resilience planning and at the regional level, through transboundary cooperation.”
This is one of the seven “urgent priorities” that the UN agencies have flagged for countries to take up.
As weather-related disasters strike countries with greater frequency due to climate change, the lack of meteorological infrastructure like early warning systems add to the woes.
One of the seven priorities suggested in the letter is to “encourage universal access to timely warnings about water-related disasters to help save lives and protect livelihoods.”